चीन की रणनीति: राफेल विमानों की बिक्री को कमजोर करने का प्रयास
चीन की साजिश का खुलासा
चीन की साजिश: फ्रांसीसी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, चीन ने भारत के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री और उनकी प्रतिष्ठा को कमजोर करने के लिए अपने दूतावासों का उपयोग किया। एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की यह रणनीति उन देशों को लक्षित करने के लिए थी जो फ्रांसीसी सैन्य उपकरण खरीदने में रुचि रखते थे।
चीनी दूतावासों की गतिविधियाँ
Associated Press की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी दूतावासों में तैनात रक्षा अटैचियों को निर्देश दिया गया था कि वे फ्रांसीसी राफेल जेट की क्षमता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाएं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि अन्य देश फ्रांस से ये लड़ाकू विमान न खरीदें। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह एक संगठित प्रयास था, जिसमें चीन ने फ्रांस के रक्षा निर्यात को रणनीतिक रूप से प्रभावित करने की कोशिश की।
फ्रांसीसी रक्षा उद्योग की स्थिति
फ्रांसीसी रक्षा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण: राफेल विमानों की बिक्री फ्रांसीसी रक्षा उद्योग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन विमानों की आपूर्ति से फ्रांस ने एशियाई देशों के साथ अपने राजनयिक और सामरिक संबंधों को मजबूत किया है, लेकिन चीन को यह विस्तार पसंद नहीं आ रहा है, क्योंकि वह एशिया में एकमात्र सैन्य और रणनीतिक शक्ति के रूप में खुद को स्थापित करना चाहता है।
राफेल विमानों का प्रदर्शन
राफेल विमानों के प्रभावशाली प्रदर्शन: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान राफेल विमानों के प्रभावशाली प्रदर्शन ने उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को और बढ़ाया है। चीन को चिंता है कि इससे एशिया और अन्य क्षेत्रों में फ्रांस को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है। फ्रांसीसी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इस प्रकार की चीनी गतिविधियों की जानकारी पहले से थी और उन्होंने इससे निपटने के लिए कई राजनयिक स्तरों पर प्रयास किए हैं।
चीन पर आरोप
चीन पर लगे आरोप: इस रिपोर्ट पर चीन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह पहली बार नहीं है जब चीन पर इस तरह की रणनीतिक दखलंदाजी के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई देशों में उसकी दूतावासी गतिविधियों को लेकर संदेह व्यक्त किया जा चुका है।