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चीन की सैन्य परेड: अमेरिका की शक्ति को चुनौती देने का नया अध्याय

चीन ने हाल ही में एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया, जिसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका की शक्ति को चुनौती देने का संदेश दिया। इस परेड में कई देशों के नेता शामिल हुए, और यह चीन की बढ़ती कूटनीतिक और सैन्य ताकत का प्रदर्शन है। जानें इस परेड के पीछे की रणनीति और वैश्विक प्रतिक्रिया के बारे में।
 

डोनाल्ड ट्रंप की किताब और चीन की चुनौती

"खेल खेलने में असली रोमांच है। मैं इस पर ज्यादा नहीं सोचता कि मुझे क्या अलग करना चाहिए था या भविष्य में क्या होगा।" यह कथन डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पुस्तक 'द आर्ट ऑफ डील' में लिखा है, जो 1987 में प्रकाशित हुई थी। ट्रंप का मानना है कि यह किताब बाइबल के बाद सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है। उनका दावा है कि इसमें जो भी लिखा गया है, वह शाश्वत सत्य है, और वे अपने समर्थकों को भी इस पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करते हैं। अमेरिका, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है, अब चीन से चुनौती का सामना कर रहा है। ट्रंप ने भले ही 'आर्ट ऑफ डील' लिखी हो, लेकिन 'आर्ट ऑफ वॉर' तो चीनी जनरल सून त्ज़ू ने दो हजार पांच सौ साल पहले लिखी थी। यह किताब युद्ध की रणनीति और दर्शन पर आधारित है और इसे अन्य क्षेत्रों में भी प्रासंगिक माना जाता है।


चीन की सैन्य परेड का महत्व

अमेरिका की शक्ति को चुनौती देने के लिए चीन ने अब तक की सबसे बड़ी सैन्य परेड का आयोजन किया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जो माओ सूट में नजर आए, ने कहा कि दुनिया को सद्भाव से चलना चाहिए, न कि दादागिरी से। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन किसी से डरता नहीं है और सभी देशों को मिलकर शांति से काम करना चाहिए। शी ने पीएलए को एक विश्वस्तरीय सैन्य शक्ति बनने का लक्ष्य निर्धारित किया।


विशिष्ट उपस्थितियों के साथ परेड

इस 70 मिनट की परेड में शी जिनपिंग के साथ कई कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी और 20 से अधिक देशों के नेता शामिल हुए, जिनमें इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया, पाकिस्तान, बेलारूस, ईरान, सर्बिया और स्लोवाकिया के नेता शामिल थे। हालांकि, पुतिन की उपस्थिति के कारण कई यूरोपीय नेताओं ने निमंत्रण अस्वीकार कर दिया। परेड से पहले, शी ने किम जोंग-उन, पुतिन और अन्य नेताओं का अभिवादन किया और उनके साथ बातचीत की।


राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा

यह परेड चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अर्थव्यवस्था की चिंताओं और अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रवादी भावनाओं को एकजुट करने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है। इस आयोजन ने द्वितीय विश्व युद्ध की यादों और पूर्वी एशिया में जापान के खिलाफ चीन की भूमिका को उजागर किया। हालांकि, इसमें पार्टी की भूमिका विवादित रही है। फिर भी, शी ने बीजिंग को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया।


विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि शी जिनपिंग के दृष्टिकोण से यह आयोजन एक बड़ी सफलता रही है। अटलांटिक काउंसिल के सुंग ने कहा कि शी को विश्वास है कि स्थिति बदल गई है और चीन फिर से नेतृत्व की कुर्सी पर है। उन्होंने ट्रम्पियन एकतरफावाद को अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अनिश्चितता का मुख्य स्रोत बताया।