चीन ने भारतीय युवाओं के लिए खोला 'K-वीजा', एच-1बी वीजा की बढ़ती फीस के बीच
चीन का 'K-वीजा' और एच-1बी वीजा में बदलाव
नई दिल्ली: अमेरिकी प्रशासन ने एच-1बी वीजा में कई महत्वपूर्ण संशोधन करने की घोषणा की है। इसके परिणामस्वरूप, चीन का 'K-वीजा' चर्चा का विषय बन गया है। एच-1बी वीजा के नियमों में बदलाव के बाद, कई देशों ने युवा प्रतिभाओं के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, जिसमें चीन सबसे आगे है।
चीन ने प्रतिभाशाली युवाओं को अवसर प्रदान करने के लिए 'K-वीजा' की शुरुआत की है। एच-1बी वीजा की फीस में वृद्धि के बाद, चीन का यह नया वीजा सुर्खियों में आ गया है। इसके अलावा, चीन 'K-वीजा' के तहत और भी रियायतें देने की योजना बना रहा है। इसलिए, इस वीजा के नियम और लाभों को समझना आवश्यक है।
चीन ने 'K-वीजा' की घोषणा 7 अगस्त को की थी और इसे 1 अक्टूबर से लागू किया गया। हर देश में वीजा की विभिन्न श्रेणियाँ होती हैं, जैसे शिक्षा, यात्रा, और रोजगार। 'K-वीजा' उन छात्रों के लिए है जो एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के क्षेत्र में पढ़ाई कर रहे हैं या जुड़े हुए हैं।
अमेरिका के एच-1बी वीजा का उपयोग करने वाले अधिकांश लोग भारतीय हैं। जब इसकी फीस बढ़ाई गई, तो इसका सीधा प्रभाव भारतीय युवाओं पर पड़ा। एच-1बी वीजा प्राप्त करने के लिए, आवेदक के पास किसी अमेरिकी कंपनी से ऑफर लेटर होना आवश्यक है। जबकि 'K-वीजा' के लिए चीनी कंपनी से पहले से ऑफर लेटर की आवश्यकता नहीं है।
1 अक्टूबर को 'K-वीजा' के लॉन्च के बाद से सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। चीनी युवाओं में इस वीजा को लेकर असंतोष देखा जा रहा है। उनका कहना है कि उनके देश में युवा मास्टर डिग्री लेकर बेरोजगार हैं, जबकि चीन दूसरे देशों से लोगों को रोजगार देने की कोशिश कर रहा है। वर्तमान में, चीन में बेरोजगारी दर लगभग 19 प्रतिशत है।
चीन और भारत के बीच लंबे समय से तनाव रहा है, लेकिन अब यह कम होता दिखाई दे रहा है। दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की शुरुआत भी हो रही है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण है कि क्या भारत के नागरिकों के लिए चीन का 'K-वीजा' अमेरिका के एच-1बी वीजा का विकल्प बन सकता है। भारत और चीन के बीच भाषा और सांस्कृतिक भिन्नताएँ भी हैं, जो इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।