चुनाव आयोग का महत्वपूर्ण निर्णय: बिहार चुनाव में आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र के रूप में मान्यता
चुनाव आयोग का नया निर्देश
चुनाव आयोग का महत्वपूर्ण निर्णय: अब आधार कार्ड केवल आपकी पहचान का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह आपके वोट की ताकत को भी बढ़ाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, चुनाव आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि आधार कार्ड को मतदाता पहचान के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए। इससे मतदाता पहचान की प्रक्रिया और अधिक सरल हो जाएगी।
पहले से मान्य दस्तावेजों की सूची
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने मंगलवार को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजे गए पत्र में कहा है कि "पहले से मान्य 11 दस्तावेजों के साथ-साथ आधार कार्ड को भी मतदाता पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।"
यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के बाद आया है, जिसमें अदालत ने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान में आधार कार्ड को अनिवार्य पहचान पत्र के रूप में शामिल करने का आदेश दिया था।
आधार कार्ड का उपयोग
आधार अधिनियम की धारा 9 के अनुसार, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड को "पहचान प्रमाण" के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, न कि "नागरिकता प्रमाण" के रूप में। इसका मतलब है कि यदि आपके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है, तो आप अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए आधार कार्ड को वैध पहचान पत्र के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) के तहत पहले से मान्य है।
चुनाव आयोग की चेतावनी
चुनाव आयोग ने चेतावनी दी है कि "यदि कोई अधिकारी इस निर्देश के बावजूद आधार कार्ड को स्वीकार करने से मना करता है या नियमों का पालन नहीं करता है, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा।" सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया था कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान में आधार कार्ड को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
न्यायालय ने चुनाव आयोग को 9 सितंबर तक इस निर्देश को लागू करने का आदेश दिया था। इस निर्णय से मतदाता पहचान की प्रक्रिया और भी सरल हो गई है, जिससे अधिक से अधिक लोग अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे।