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छतरपुर की प्रोफेसर ममता पाठक को मिली उम्रकैद की सजा

मध्य प्रदेश के छतरपुर की केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक को अपने पति की हत्या के मामले में एमपी हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला सोशल मीडिया पर काफी चर्चा का विषय बना रहा। ममता ने बिना वकील की मदद से अपने मामले का बचाव किया और अदालत में खुद को पेश किया। जानें इस मामले की पूरी कहानी और कोर्ट की कार्रवाई के बारे में।
 

ममता पाठक का मामला

मध्य प्रदेश के छतरपुर की केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक को अपने पति की हत्या के मामले में एमपी हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रहा। ममता ने बिना किसी वकील की सहायता के अपने मामले का बचाव किया।


ममता पाठक की पहचान

ममता पाठक एक सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर थीं। उन पर अपने पति की हत्या का आरोप लगा था, जिसके तहत आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया। ममता ने अप्रैल में अदालत में खुद को पेश किया। उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया और 2022 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। हालांकि, उन्होंने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


हत्या का मामला

2022 में नीरज पाठक की हत्या का मामला सामने आया। नीरज और ममता के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। 2021 में नीरज अपने घर में मृत पाए गए। प्रारंभ में पुलिस ने इसे करंट लगने से हुई मौत माना, लेकिन फॉरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामले को संदिग्ध बना दिया।


मेडिकल रिपोर्ट और कोर्ट की कार्रवाई

जिला अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ममता को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी। कुछ समय के लिए बेटे की देखभाल के लिए उन्हें अंतरिम जमानत मिली। इस दौरान ममता ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट में ममता ने यह तर्क दिया कि थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न के बीच का अंतर केवल केमिकल एनालिसिस से ही पता चल सकता है, जिससे कोर्ट में हलचल मच गई।