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छत्तीसगढ़ में पुलिस कमिश्नर प्रणाली का आगाज़: अपराध नियंत्रण की नई दिशा

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 1 नवंबर 2025 से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने जा रही है। यह प्रणाली राज्य में पहली बार कार्यान्वित होगी, जिसका उद्देश्य बढ़ते अपराधों को नियंत्रित करना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा इसकी घोषणा के बाद, डीजीपी अरुण देव गौतम ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। इस प्रणाली के तहत पुलिस को कई अधिकार मिलेंगे, जिससे कानून-व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है। जानें इस प्रणाली के पीछे के कारण और अन्य राज्यों में इसके कार्यान्वयन के बारे में।
 

छत्तीसगढ़ में पुलिस कमिश्नर प्रणाली का कार्यान्वयन

छत्तीसगढ़ पुलिस सुधार: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 1 नवंबर 2025 से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने जा रही है। यह राज्य में पहली बार होगा जब यह प्रणाली कार्यान्वित की जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 15 अगस्त को इस प्रणाली की घोषणा की थी। अब, डीजीपी अरुण देव गौतम ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और 7 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक टीम का गठन किया है, जिसमें एडीजी प्रदीप गुप्ता को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। यह टीम अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन करके ड्राफ्ट तैयार करेगी।


कमिश्नर प्रणाली के तहत पुलिस को कलेक्टर जैसे अधिकार प्राप्त होते हैं। इसमें पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रेट की तरह आदेश जारी करने, गुंडा एक्ट और रासुका जैसे कानून लागू करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति देने, होटल-बार के लाइसेंस जारी करने और दंगों में बल प्रयोग करने के अधिकार मिलते हैं। इससे कानून-व्यवस्था से संबंधित निर्णय तुरंत लिए जा सकेंगे और कलेक्टर पर दबाव भी कम होगा। इस प्रणाली में पुलिस कमिश्नर, संयुक्त पुलिस आयुक्त, डीसीपी, एसीपी से लेकर थानेदार और सिपाही तक की जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से निर्धारित की जाती हैं।


इस प्रणाली के लागू होने का कारण

रायपुर में इस प्रणाली को लागू करने का मुख्य कारण लगातार बढ़ता अपराध है। जनवरी से अब तक 6,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 50 से ज्यादा हत्या के मामले शामिल हैं। चाकूबाजी, लूट, चोरी और नशे के कारोबार की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। इसके अलावा, धार्मिक विवाद भी सामने आए हैं। वर्तमान में राजधानी में पुलिस बल की भारी कमी है। यहां की जनसंख्या 25 लाख से अधिक है, जबकि पुलिस बल में केवल 2,980 जवान हैं। आवश्यकता लगभग 7,000 पुलिसकर्मियों की है। पिछले डेढ़ साल में 92 पुलिस जवान रिटायर हुए हैं, लेकिन उनकी जगह भर्ती नहीं की गई है।


अन्य राज्यों में प्रणाली का कार्यान्वयन

अन्य राज्यों में पहले से ही यह प्रणाली लागू है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, नोएडा, कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत पुलिस को सीआरपीसी की कई धाराओं के अधिकार प्राप्त हैं। महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस कमिश्नर को जुलूस की अनुमति, आतिशबाजी की इजाजत और गोद लेने के मामलों में भी अधिकार दिए गए हैं। राजस्थान में एसीपी स्तर तक के अधिकारियों को सार्वजनिक शांति और पब्लिक न्यूसेंस मामलों में न्यायिक अधिकार दिए गए हैं। रायपुर में इस प्रणाली के लागू होने के बाद उम्मीद है कि अपराध नियंत्रण में तेजी आएगी और निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी।