छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ अभियान: सुरक्षाबलों ने पांच संदिग्धों को किया ढेर
सुरक्षाबलों को मिली बड़ी सफलता
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे व्यापक अभियान में सुरक्षाबलों ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। शनिवार की सुबह इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगलों से दो महिलाओं समेत पांच संदिग्ध माओवादियों के शव बरामद हुए। यह घटनाक्रम उस मुठभेड़ का हिस्सा है, जो गुरुवार को हुई थी, जिसमें सीपीआई (माओवादी) के वरिष्ठ नेता सुधाकर और भास्कर मारे गए थे.
तीन दिन तक चला तलाशी अभियान
पुलिस के अनुसार, यह अभियान लगातार तीन दिनों तक चला। इसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के केंद्रीय समिति के सदस्य सुधाकर उर्फ गौतम और तेलंगाना राज्य समिति के सदस्य मेलारापु अडेलू उर्फ भास्कर सहित कुल सात नक्सली मारे गए। यह कार्रवाई बीजापुर के जंगलों में की गई, जो माओवादियों का गढ़ माने जाते हैं.
वरिष्ठ माओवादी नेताओं की पहचान
सुरक्षाबलों ने गुरुवार को सुधाकर का शव बरामद किया, जो माओवादी संगठन का एक प्रमुख विचारक और रणनीतिकार माना जाता था। शुक्रवार को उसी क्षेत्र में भास्कर का शव मिला, जो मंचेरियल-कोमारंभीम डिवीजन का सचिव था। उस पर कुल ₹45 लाख का इनाम था, जिसमें से ₹25 लाख छत्तीसगढ़ और ₹20 लाख तेलंगाना सरकार की ओर से घोषित किए गए थे.
पांच और शवों की बरामदगी
शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात चलाए गए तलाशी अभियान में और पांच शव बरामद किए गए, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इनकी पहचान की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ये सभी प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सक्रिय सदस्य थे। घटनास्थल से दो एके-47 राइफलें, विस्फोटक सामग्री और अन्य हथियार भी जब्त किए गए हैं.
सुरक्षाकर्मियों की स्थिति
इस अभियान के दौरान कुछ जवानों को जंगल में तैनाती के दौरान सांप के काटने, मधुमक्खियों के डंक, और निर्जलीकरण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। हालांकि, सभी घायल जवानों की स्थिति स्थिर है और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है.
जमीनी स्तर पर अभियान जारी
पुलिस ने बताया कि यह ऑपरेशन माओवादियों की उपस्थिति को समाप्त करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय उद्यान के आसपास चलाया जा रहा है और तलाशी अभियान अभी भी जारी है। सुरक्षाबल जंगल के अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय रूप से सर्च और क्लीन-अप ऑपरेशन चला रहे हैं.
फर्जी मुठभेड़ का आरोप
तेलंगाना सिविल राइट्स एसोसिएशन और कुछ मानवाधिकार संगठनों ने आरोप लगाया है कि माओवादी नेताओं को पहले हिरासत में लिया गया और फिर उन्हें फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया। पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सारी कार्रवाई कानून के दायरे में और ऑपरेशनल नियमों के अनुसार की गई है.