छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत: पंजाब सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप पर लगाया प्रतिबंध
छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत से मचा हड़कंप
पंजाब न्यूज. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 15 बच्चों की मौत ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। चिकित्सकों के अनुसार, बच्चों को खांसी और बुखार के इलाज के लिए कोल्ड्रिफ सिरप दिया गया था। दवा का सेवन करने के कुछ घंटों बाद उनकी स्थिति बिगड़ गई और किडनी फेल होने के लक्षण दिखाई देने लगे। अस्पताल पहुंचने के बावजूद बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी। यह घटना इतनी तेजी से हुई कि परिवार और समाज दोनों हिल गए हैं। अब लोग यह जानने के लिए चिंतित हैं कि यह जहरीली दवा बाजार में कैसे पहुंची।
पंजाब सरकार की त्वरित कार्रवाई
पंजाब सरकार का कड़ा कदम
छिंदवाड़ा की इस घटना के बाद पंजाब सरकार ने तुरंत कदम उठाए। फूड एंड ड्रग प्रशासन ने कोल्ड्रिफ सिरप की जांच की और इसे खतरनाक घोषित कर दिया। आदेश जारी किया गया कि यह दवा न तो बेची जाएगी और न ही सप्लाई की जाएगी। दुकानदारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत स्टॉक हटा दें। सरकार का कहना है कि लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस निर्णय का कई संगठनों ने स्वागत किया है।
सिरप में जहरीले रसायन की पहचान
सिरप में मिला जहरीला केमिकल
जांच रिपोर्ट में यह सामने आया कि कोल्ड्रिफ सिरप में डाईथाईलीन ग्लाइकोल नामक जहरीला रसायन पाया गया। यह रसायन मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है। चिकित्सकों का कहना है कि यह किडनी और लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। छोटे बच्चों के लिए यह और भी अधिक खतरनाक साबित होता है। थोड़ी सी मात्रा भी जानलेवा हो सकती है। इसी कारण पंजाब सरकार ने इस पर तुरंत प्रतिबंध लगाया। अब सवाल उठ रहा है कि उत्पादन के दौरान इसकी निगरानी क्यों नहीं की गई।
दवा सुरक्षा पर देशव्यापी अलर्ट
देशभर में दवा पर अलर्ट
छिंदवाड़ा की घटना और पंजाब की कार्रवाई के बाद देशभर के राज्य सतर्क हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है। लोगों से कहा गया है कि वे संदिग्ध कफ सिरप न खरीदें। दुकानदारों को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस मामले पर लगातार नजर रख रही है। राज्यों को संदिग्ध दवाओं के सैंपल भेजने के लिए कहा गया है। अब दवा सुरक्षा पर व्यापक चर्चा शुरू हो गई है।
डॉक्टर की गिरफ्तारी पर विवाद
डॉक्टर की गिरफ्तारी पर विवाद
मध्यप्रदेश पुलिस ने इस मामले में एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। IMA का कहना है कि दवा की मंजूरी और गुणवत्ता की जांच डॉक्टरों की जिम्मेदारी नहीं होती। यह कार्य दवा नियामक संस्थाओं का है। डॉक्टर को जेल भेजना गलत संदेश देता है। संगठन ने मांग की है कि असली जिम्मेदार कंपनियों और अधिकारियों पर कार्रवाई हो। इस बयान के बाद मामला और गरम हो गया है।
परिवारों का गुस्सा और सवाल
परिवारों का गुस्सा और सवाल
जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, वे गुस्से में हैं। उनका कहना है कि सरकारें निगरानी में नाकाम रही हैं। माता-पिता रो-रोकर पूछ रहे हैं कि उनकी मासूम जानों की कीमत कौन चुकाएगा। समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोग सोशल मीडिया पर कंपनियों और अधिकारियों को दोषी ठहरा रहे हैं। कई सामाजिक संगठन सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। यह मामला केवल छिंदवाड़ा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे देश का मुद्दा बन गया है।
मजबूत निगरानी की आवश्यकता
मजबूत निगरानी की उठी मांग
इस घटना के बाद दवा सुरक्षा प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को दवा जांच की प्रणाली को और कड़ा करना होगा। केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। हर दवा को बाजार में आने से पहले कड़ी जांच से गुजरना चाहिए। जिम्मेदार कंपनियों पर भारी जुर्माना और सजा होनी चाहिए। जनता अब पारदर्शिता और जवाबदेही चाहती है। यही भरोसा लौटाने का एकमात्र रास्ता है।