जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या है इसके पीछे की सच्चाई?
उपराष्ट्रपति का अचानक इस्तीफा
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक हलचल मचा दी है। उन्होंने 21 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक पत्र भेजकर स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए त्यागपत्र दिया। हालांकि, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए इसे केवल स्वास्थ्य से संबंधित नहीं माना है।
गंभीर कारणों का संकेत
जयराम रमेश का कहना है कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे कुछ गहरे और गंभीर कारण छिपे हुए हैं। उन्होंने भाजपा के प्रमुख नेताओं जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू की बैठक में अनुपस्थिति को संदिग्ध बताया है।
बैठकों की टाइमलाइन पर उठे सवाल
रमेश ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि 21 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक उपराष्ट्रपति धनखड़ की अध्यक्षता में हुई थी। इस बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू भी शामिल थे। बैठक में अगली मीटिंग उसी दिन शाम 4:30 बजे बुलाई गई, लेकिन जब सदस्य फिर से इकट्ठा हुए, तो नड्डा और रिजिजू दोनों अनुपस्थित थे।
गंभीर घटनाओं का संकेत
रमेश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर घटनाएं हुईं, जिसके कारण नड्डा और रिजिजू ने बैठक में भाग नहीं लिया। उन्होंने यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति का अचानक इस्तीफा देना और स्वास्थ्य कारण बताना सम्मानजनक हो सकता है, लेकिन इसके पीछे की कहानी कहीं अधिक जटिल है।
सत्ता से असहमति और न्यायपालिका पर टिप्पणी
जयराम रमेश के अनुसार, धनखड़ ने हमेशा सरकार की प्रशंसा की, लेकिन किसानों के हितों के लिए भी खुलकर बोले। उन्होंने राजनीतिक अहंकार की आलोचना की और न्यायपालिका में संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। रमेश ने कहा कि धनखड़ नियमों और संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति प्रतिबद्ध थे, लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि उनकी भूमिका में इन मूल्यों की अनदेखी की जा रही है।
राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र
धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। भाजपा इसे व्यक्तिगत निर्णय मान रही है, जबकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे एक सुनियोजित राजनीतिक घटनाक्रम मानते हैं। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस पर कोई स्पष्टीकरण देती है या यह मामला समय के साथ दब जाएगा।