जन गण मन: भारत का गर्व और एकता का प्रतीक
जन गण मन: भारत का राष्ट्रगान
जन गण मन के बोल हिंदी में: जन गण मन, जो भारत का राष्ट्रगान है, देश की स्वतंत्रता और गर्व का प्रतीक माना जाता है। यह हर राष्ट्रीय उत्सव पर गाया जाता है और हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना को जगाता है। इस गीत की रचना महान कवि रवींद्रनाथ ठाकुर ने की थी और इसे संगीतबद्ध भी किया। 24 जनवरी 1950 को इसे भारत के संविधान द्वारा आधिकारिक राष्ट्रगान के रूप में मान्यता दी गई। 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, आइए हम जन गण मन के हिंदी बोलों को गुनगुनाएं और इसके पीछे की प्रेरणादायक कहानी को जानें। यह गीत हर भारतीय को अपनी मातृभूमि पर गर्व महसूस करने का अवसर प्रदान करता है।
जन गण मन के बोल हिंदी में
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्रविड़ उत्कल बंग।
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष मागे।
गाहे तव जयगाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे॥
इस गीत को गाकर हर भारतीय अपने देश के प्रति अपनी एकता और प्रेम को व्यक्त करता है। इसे स्वतंत्रता दिवस पर गाना और भी खास बनाता है।
जन गण मन से जुड़े दिलचस्प तथ्य
राष्ट्रगान जन गण मन की एक विशेष कहानी है। इसे सबसे पहले 1911 में कोलकाता में कांग्रेस के एक समारोह में गाया गया था। इस गीत को पूरा गाने में लगभग 52 सेकंड लगते हैं, जबकि इसका संक्षिप्त संस्करण केवल 20 सेकंड का है। रवींद्रनाथ ठाकुर ने न केवल इसे लिखा, बल्कि इसे अपनी आवाज में गाया भी था। इसमें कुल पांच पद हैं। इसे आंध्र प्रदेश के मदनपिल्लै जिले में भी गाया गया था। राष्ट्रगान गाते समय सावधान की मुद्रा में खड़े होना अनिवार्य है, और नियमों का उल्लंघन करने पर दंड या जुर्माना भी हो सकता है।
जन गण मन का हिंदी अर्थ
जन गण मन का अर्थ है भारत के भाग्यविधाता, जो जनता के मन का नेतृत्व करते हैं, उनकी जय हो! पंजाब, सिन्ध, गुजरात, मराठा, द्राविड़, उत्कल और बंगाल के लोग उनके पवित्र नाम से प्रेरित होते हैं। विंध्य, हिमाचल, यमुना और गंगा के किनारे बसे लोग उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं और उनकी जयगाथा गाते हैं। हे भारत के भाग्यविधाता, तुम्हारी हमेशा जय हो! यह गीत देश की एकता और विविधता को खूबसूरती से दर्शाता है।