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जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के लिए नो फ्लाई जोन की घोषणा

जम्मू-कश्मीर सरकार ने 3 जुलाई से 8 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के दौरान सात मुख्य मार्गों को नो फ्लाई जोन घोषित किया है। यह निर्णय गृह मंत्रालय की सलाह पर लिया गया है, जिसका उद्देश्य यात्रा के दौरान सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा उपायों को और सख्त किया गया है। आपात स्थितियों में छूट के निर्देश भी दिए गए हैं। जानें इस यात्रा की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में।
 

जम्मू-कश्मीर में नो फ्लाई जोन की घोषणा

जम्मू-कश्मीर नो-फ्लाई जोन: जम्मू-कश्मीर सरकार ने श्री अमरनाथजी यात्रा के दौरान, जो 3 जुलाई से 8 अगस्त तक चलेगी, सात प्रमुख मार्गों को 'नो फ्लाइंग जोन' घोषित किया है। गृह मंत्रालय की सलाह पर जारी आदेश में कहा गया है कि 1 जुलाई 2025 से 10 अगस्त 2025 तक, अमरनाथ के सभी मार्गों पर उड़न तश्तरी (UAV), ड्रोन, गुब्बारे और अन्य विमानन उपकरणों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा।


सरकारी आदेश में यह भी बताया गया है कि यह प्रतिबंध पहलगाम और बालटाल दोनों धुरों पर लागू होगा। इसका मतलब है कि यात्रियों द्वारा उच्च हिमालय की यात्रा के दौरान लखनपुर–जम्मू–काज़ीगुंड–पहलगाम और लखनपुर–जम्मू–काज़ीगुंड–श्रीनगर–सोमवार्ग मार्गों पर हवाई गतिविधियाँ पूरी तरह से रुक जाएंगी।


पहलाम में हमले के बाद सुरक्षा में वृद्धि

पहलाम में हुए हमले ने बढ़ाई सतर्कता


इस साल अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की हत्या ने सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी संदर्भ में गृह विभाग ने सभी संबंधित पक्षों के साथ मिलकर अतिरिक्त सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स इंतजामों पर चर्चा की है।


आपात स्थिति में छूट के निर्देश

आपात स्थिति में छूट के निर्देश


नए 'नो फ्लाइंग जोन' आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि चिकित्सा निकासी, आपदा प्रबंधन या सुरक्षा बलों की निगरानी जैसी आपात स्थितियों में यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। आवश्यक छूट के लिए बाद में विस्तृत SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की जाएगी।


यात्रा सुरक्षा का सबसे बड़ा अभ्यास

यात्रा सुरक्षा का सबसे बड़ा अभ्यास


हर साल लाखों श्रद्धालु हिमालय की ऊँचाइयों में स्थित महाशिवालय की ओर यात्रा करते हैं। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा घाटी में सबसे बड़े सुरक्षा अभ्यासों में से एक मानी जाती है। इस बार हवाई मार्गों पर यह पाबंदी यात्रियों की सुरक्षा और यात्रा व्यवस्था को प्रभावित करने वाले किसी भी जोखिम को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।