जम्मू-कश्मीर में तीन कफ सिरप ब्रांड्स पर प्रतिबंध, स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम
जम्मू-कश्मीर में कफ सिरप पर प्रतिबंध
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के औषधि एवं खाद्य नियंत्रण संगठन (डीएफसीओ) ने तीन कफ सिरप ब्रांड्स की बिक्री, वितरण और उपयोग पर रोक लगा दी है। यह निर्णय तब लिया गया जब इन दवाओं की प्रयोगशाला जांच में पाया गया कि इनमें जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) निर्धारित मात्रा से अधिक है।
डीईजी एक अत्यंत जहरीला रसायन है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है। इस तत्व के कारण पहले ही मध्य प्रदेश और राजस्थान में कई बच्चों की जानें जा चुकी हैं।
सरकारी बयान के अनुसार, यह कार्रवाई केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण कार्यक्रम की रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें इन तीन कफ सिरप ब्रांड्स में डीईजी की मात्रा मानक से अधिक पाई गई। इस जानकारी के बाद जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत इन दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया।
प्रतिबंधित दवाओं में रिलीफ सिरप, रेस्पीफ्रेश-टीआर सिरप और कोल्ड्रिफ सिरप शामिल हैं। रिलीफ सिरप, जिसमें एम्ब्रोक्सोल एचसीएल, टरबुटालाइन सल्फेट, गुइफेनेसिन और मेंथॉल है, इसे गुजरात की शेप फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित किया जाता है। रेस्पीफ्रेश-टीआर सिरप, जिसमें ब्रोमहेक्सिन हाइड्रोक्लोराइड, टरबुटालाइन सल्फेट, गुइफेनेसिन और मेन्थॉल होते हैं, अहमदाबाद की रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाया जाता है। तीसरा सिरप, कोल्ड्रिफ, जिसमें पेरासिटामोल, फिनाइलफ्राइन हाइड्रोक्लोराइड और क्लोरफेनिरामाइन मैलेट शामिल हैं, तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित है।
इन दवाओं में डीईजी की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है, जिससे इन्हें मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं माना गया है।
मध्य प्रदेश की खाद्य एवं औषधि प्रशासन की ड्रग टेस्टिंग लैब ने इस मामले की गंभीरता को दर्शाते हुए रिपोर्ट तैयार की है। जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग ने अपने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और अन्य चिकित्सा संस्थानों को इस विषय में सतर्क रहने के लिए कहा है। सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे इस सूचना को अपने कर्मचारियों और चिकित्सकों तक पहुंचाएं ताकि इन दवाओं का उपयोग रोका जा सके। इसके अलावा, जो भी दुकानों या अस्पतालों में इन सिरप्स का स्टॉक है, उसकी जानकारी तुरंत राज्य के ड्रग कंट्रोलर कार्यालय को दी जानी चाहिए।
यह प्रतिबंध बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है, क्योंकि इन सिरप से जुड़े जहरीले तत्वों के कारण पहले भी अन्य राज्यों में बच्चों की मौतें हुई हैं। कई राज्यों ने इन सिरप को पहले ही बैन कर दिया है, जबकि कुछ राज्यों ने दो साल से कम उम्र के बच्चों में कफ और सर्दी की दवाओं के उपयोग पर पूरी रोक लगा दी है।
इसके अतिरिक्त, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अक्टूबर 2025 में एक सलाह जारी की है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। पांच साल तक के बच्चों में भी इन दवाओं का उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए। यह कदम उन मौतों के बाद उठाया गया है जो कफ सिरप के इस्तेमाल के कारण हुई हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इस मामले पर चिंता व्यक्त की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि भारत की दवा सुरक्षा व्यवस्था में कुछ कमजोरियां हैं, जिनके कारण जहरीली दवाएं बाजार में पहुंच जाती हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस तरह की दवाएं अनियमित वितरण चैनलों के माध्यम से अन्य देशों तक भी पहुंच सकती हैं, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कफ सिरप का उपयोग बच्चों में बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए क्योंकि कई बार यह दवाएं उनके लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। विशेष रूप से दो साल से छोटे बच्चों को यह दवाएं देना स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से भी अपील की है कि वे इन तीनों सिरप को खरीदने या उपयोग करने से बचें। यदि कहीं इन सिरप का स्टॉक मौजूद हो तो उसे तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें। साथ ही, बच्चे की सेहत में कोई भी समस्या हो तो बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं न लें।