जम्मू-कश्मीर में सिंधु नदी परियोजना पर उमर अब्दुल्ला का कड़ा विरोध
सिंधु नदी परियोजना पर सियासी बयानों की बाढ़
जम्मू-कश्मीर में सिंधु नदी परियोजना को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की उस योजना का विरोध किया, जिसमें 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर जम्मू-कश्मीर से अतिरिक्त पानी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान भेजने का प्रस्ताव है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस योजना को कभी भी लागू नहीं होने देंगे।
जम्मू में जल संकट की गंभीरता
जम्मू में सूखे जैसी स्थिति
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहले हमें अपने लोगों के लिए पानी का उपयोग करना चाहिए। जम्मू में सूखे जैसी स्थिति है, और उन्होंने सवाल उठाया कि जब पंजाब ने हमें जरूरत के समय पानी नहीं दिया, तो हम उन्हें क्यों पानी दें? उन्होंने यह भी याद दिलाया कि सिंधु जल संधि के तहत पंजाब के पास पहले से ही पर्याप्त पानी है, जबकि जम्मू-कश्मीर की आवश्यकताओं को अक्सर नजरअंदाज किया गया है।
शाहपुर कंडी बैराज समझौते का जिक्र
उमर ने यह भी बताया कि 1979 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच हुए शाहपुर कंडी बैराज समझौते को कई वर्षों तक लटकाया गया था, और यह विवाद 2018 में केंद्र सरकार की मध्यस्थता से सुलझा। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि हमने पंजाब को कई वर्षों तक रोते देखा है, और अब जब हमें जरूरत है, तो हमारी आवाज़ को अनसुना नहीं किया जा सकता।
जल शक्ति मंत्रालय की सक्रियता
बुनियादी ढांचे के निर्माण में जुटा जल शक्ति मंत्रालय
जल शक्ति मंत्रालय इस योजना को लागू करने के लिए तेजी से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी न भेजने की दिशा में काम करना है, खासकर जब भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत सिंधु जल संधि का अनुपालन स्थगित कर दिया है।