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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी कार्रवाई: 300 ठिकानों पर छापे

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने जमात-ए-इस्लामी से जुड़े 300 ठिकानों पर छापे मारे हैं। यह कार्रवाई दिल्ली में हुए एक भयानक विस्फोट के संदर्भ में की गई, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। जांच में पता चला है कि इस हमले की साजिश फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी में रची गई थी। इस लेख में हम इस कार्रवाई के पीछे के कारणों और विस्फोट की साजिश के बारे में विस्तार से जानेंगे।
 

जमात-ए-इस्लामी से जुड़े ठिकानों पर छापे


नई दिल्ली/जम्मू: सोमवार की शाम को आतंकवादियों ने दिल्ली में लाल किले के पास एक कार में विस्फोट किया, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। इस हमले की योजना फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी में बनाई गई थी। मुख्य आरोपी, डॉक्टर मुजम्मिल, पिछले दो वर्षों से आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर दिल्ली में आतंक फैलाने की कोशिश कर रहा था। मुजम्मिल का संबंध कश्मीर के पुलवामा से है, और इस विस्फोट में शामिल अन्य संदिग्ध भी घाटी से जुड़े हुए हैं, जिसके चलते खुफिया एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा अभियान चलाया।


बुधवार को छापेमारी का दिन

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बुधवार को प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े 300 से अधिक ठिकानों पर छापे मारे। यह कार्रवाई अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा, बारामुला, सोपोर और बडगाम सहित कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ की गई। इस दौरान जमात के सदस्यों और सहयोगियों के घरों की तलाशी ली गई और कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।


अधिकारियों के अनुसार, ये छापे खुफिया जानकारी के आधार पर किए गए थे। जानकारी मिली थी कि जमात के सदस्य गुप्त तरीकों से अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। जांच के दौरान पुलिस ने आपत्तिजनक सामग्री, दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और प्रतिबंधित संगठन से संबंधित किताबें बरामद की हैं।


दिल्ली विस्फोट की साजिश पर सवाल

दिल्ली में सोमवार को हुए विस्फोट ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर है। फरीदाबाद यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक और हथियारों को जमा करने की सूचना किसी भी एजेंसी को नहीं मिली।


यहां तक कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन भी इस मामले से अनजान रहा। विस्फोटक सामग्री 2921 किलो की मात्रा में अल फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 के कमरे नंबर 13 में रखी गई थी। जब सुरक्षा एजेंसियों की टीमें रविवार को डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनेई उर्फ मुसैब और उसके साथियों तक पहुंचीं, तब क्या वास्तव में देर हो चुकी थी और आरोपी अपने लक्ष्य को पूरा करने के करीब थे?