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जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 विवादास्पद किताबों पर लगाया बैन

जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 किताबों पर प्रतिबंध लगाया है, जिसमें अरुंधति रॉय की 'आजादी' और ए.जी. नूरानी की 'द कश्मीर डिस्प्यूट 1947-2012' शामिल हैं। सरकार का कहना है कि ये किताबें अलगाववाद और हिंसा को बढ़ावा देती हैं। यह निर्णय 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने की छठी वर्षगांठ पर आया है, जिससे कई लोगों में नाराजगी उत्पन्न हुई है। जानें इस फैसले के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
 

जम्मू-कश्मीर में किताबों पर बैन

जम्मू-कश्मीर समाचार: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 25 किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनमें अरुंधति रॉय की 'आजादी', ए.जी. नूरानी की 'द कश्मीर डिस्प्यूट 1947-2012', और सुमंत्र बोस की 'कश्मीर एट द क्रॉसरोड्स' तथा 'कंटेस्टेड लैंड्स' शामिल हैं। सरकार का कहना है कि ये पुस्तकें अलगाववाद और हिंसा को बढ़ावा देती हैं, जिससे युवाओं में पीड़ित मानसिकता और आतंकवाद की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। यह आदेश 5 अगस्त 2025 को गृह विभाग द्वारा जारी किया गया, जिसमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 98 के तहत इन किताबों को जब्त करने का निर्देश दिया गया है।


किताबों में विवादित सामग्री का आरोप


इन किताबों में इतिहास और राजनीति से संबंधित विश्लेषण शामिल हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि ये गलत जानकारी फैलाती हैं, जो युवाओं को भटकाने और राष्ट्रीय एकता को खतरे में डालने का कार्य करती हैं। बैन की गई किताबों में प्रमुख प्रकाशन गृहों जैसे रूटलेज, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की पुस्तकें भी शामिल हैं। गृह विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि इन किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, आतंकवादियों का महिमामंडन किया गया है और सुरक्षा बलों को बदनाम किया गया है।


राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम


यह निर्णय 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने की छठी वर्षगांठ के समय आया है, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। इस कदम ने कई लोगों में नाराजगी उत्पन्न की है। कुछ का मानना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, क्योंकि इन किताबों में कश्मीर के इतिहास और संघर्ष पर गहन शोध शामिल है। आलोचकों का कहना है कि यह कदम सरकार की असुरक्षा को दर्शाता है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया है। इन किताबों के प्रकाशन, बिक्री और वितरण पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।