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जर्मनी और चीन के बीच लाल सागर में बढ़ता तनाव

हाल ही में लाल सागर में एक चीनी युद्धपोत द्वारा जर्मन निगरानी विमान पर लेजर हमले की घटना ने जर्मनी और चीन के बीच कूटनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। जर्मनी ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और इसे अस्वीकार्य बताया है। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

चीन का लेजर हमला

लाल सागर में चीन ने हाल ही में तनाव को बढ़ा दिया है। एक घटना ने जर्मनी और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों में खटास ला दी है। जर्मनी ने एक चीनी युद्धपोत द्वारा अपने निगरानी विमान पर लेजर हमले की कड़ी निंदा की है। इस मामले में जर्मनी ने बर्लिन में चीनी राजदूत को बुलाकर एक विरोध पत्र सौंपा, जिसमें इस कृत्य को अस्वीकार्य बताया गया।


जर्मन निगरानी विमान पर हमला

जर्मन रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में एक चीनी युद्धपोत ने बिना किसी चेतावनी के जर्मन निगरानी विमान पर लेजर बीम से हमला किया। यह विमान यूरोपीय संघ के मिशन एस्पाइड्स का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा व्यापारिक जहाजों पर किए जा रहे हमलों से सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जर्मन विदेश मंत्रालय ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए इसे जर्मन कर्मियों और मिशन की सुरक्षा के लिए खतरा बताया।


सुरक्षा के लिए कदम

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि लेजर का उपयोग करके चीनी युद्धपोत ने न केवल कर्मियों की जान को खतरे में डाला, बल्कि उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाने का जोखिम उठाया। इस घटना के बाद जर्मनी ने विमान का मिशन रद्द कर दिया। सौभाग्य से, विमान सुरक्षित रूप से जिबूती स्थित अपने बेस पर लौट आया, और सभी चालक दल के सदस्य सुरक्षित हैं।


मिशन एस्पाइड्स का महत्व

एस्पाइड्स मिशन, जो यूरोपीय संघ की सामान्य सुरक्षा और रक्षा नीति के तहत संचालित होता है, लाल सागर, अदन की खाड़ी, और हिंद महासागर में व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के लिए स्थापित किया गया है। यह मिशन विशेष रूप से हूती विद्रोहियों के बढ़ते हमलों के जवाब में शुरू हुआ है, जो गाजा में इजरायल-हमास संघर्ष के बाद से व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। लाल सागर एक उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है, जहां वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा गुजरता है। इस क्षेत्र में होने वाली किसी भी घटना का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.