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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू, जांच समिति का गठन

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीश शामिल हैं। यह समिति जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करेगी। यह मामला तब सामने आया जब उनके सरकारी आवास पर आग लगी और जली हुई नकदी बरामद हुई। विभिन्न राजनीतिक दलों ने महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की है।
 

महाभियोग की प्रक्रिया का आरंभ

नई दिल्ली: 'कैश कांड' से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति जस्टिस वर्मा पर लगाए गए आरोपों की जांच करेगी।


जांच समिति के सदस्य

इस उच्च-स्तरीय समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, एक हाईकोर्ट के न्यायाधीश और एक वरिष्ठ कानूनविद शामिल हैं। समिति के सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और प्रसिद्ध कानूनविद बी.वी. आचार्य का नाम शामिल है।


घटना का विवरण

यह मामला 14 मार्च, 2025 को तब सामने आया जब जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग लग गई थी। आग बुझाने के बाद वहां से बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद की गई थी, जिससे न्यायपालिका में हड़कंप मच गया। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत थे, बाद में उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया।


राजनीतिक दलों की मांग

पिछले महीने, कांग्रेस, बीजेपी, जेडीयू और टीडीपी जैसे कई राजनीतिक दलों के लोकसभा सांसदों ने एक साथ मिलकर अध्यक्ष ओम बिरला को ज्ञापन सौंपा और जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की। इससे पहले, एक आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी। अब जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर सदन में महाभियोग प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।