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जापानी धावक ने चार पैरों पर दौड़कर बनाया नया गिनीज रिकॉर्ड

जापान के 22 वर्षीय रयूसेई योनीए ने चार पैरों पर दौड़ते हुए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़कर सभी को चौंका दिया है। उन्होंने 100 मीटर की दूरी केवल 14.55 सेकंड में पूरी की, जो कि पहले के रिकॉर्ड से लगभग एक सेकंड तेज है। इस अनोखे कारनामे के पीछे उनकी मेहनत और जानवरों से मिली प्रेरणा है। जानें इस अद्भुत कहानी के बारे में और कैसे उन्होंने यह रिकॉर्ड बनाया।
 

एक अनोखी दौड़ का कारनामा

नई दिल्ली - जब दौड़ने की बात आती है, तो आमतौर पर हमारे मन में एथलीट्स, ट्रैक और तेज़ी से दौड़ते लोग की छवि आती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति चार पैरों पर, यानी हाथों और पैरों के बल दौड़ सकता है? जापान के एक युवक ने ऐसा कर दिखाया है और हाल ही में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। यह कहानी केवल एक रिकॉर्ड की नहीं है, बल्कि यह मानव जिज्ञासा, जुनून और फिटनेस को एक नए दृष्टिकोण से देखने का उदाहरण है।


टोक्यो के 22 वर्षीय रयूसेई योनीए ने हाल ही में चार पैरों पर दौड़ते हुए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया। यह कारनामा किसी जानवर की फुर्ती जैसा लग सकता है, लेकिन यह इंसानी मेहनत, रचनात्मकता और जुनून का अद्भुत उदाहरण है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, रयूसेई ने 328 फीट (100 मीटर) की दूरी केवल 14.55 सेकंड में पूरी की। उन्होंने यह दौड़ अपने दोनों हाथों और पैरों के बल—यानी चार पैरों पर—दौड़कर पूरी की। उनकी यह उपलब्धि पहले के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देती है। इससे पहले यह रिकॉर्ड अमेरिका के कॉलिन मैक्लर के नाम था, जिन्होंने 2022 में यही दूरी 15.66 सेकंड में पूरी की थी। इसका मतलब है कि रयूसेई ने लगभग 1 सेकंड तेज दौड़कर नया इतिहास रच दिया।


 




योनीए ने बताया कि वह मिडिल स्कूल से ही चार पैरों पर दौड़ने का अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने अपने शिक्षक का भी उल्लेख किया, जिन्होंने कहा था कि चार पैरों पर चलने वाले जानवर तेज दौड़ सकते हैं। वह कहते हैं, “इससे मुझे लगा कि मैं चार पैरों पर चलने वाला सबसे तेज इंसान बन सकता हूं।” इस धावक की प्रेरणा कुत्तों, बिल्लियों और बंदरों से मिली है। उन्होंने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को बताया, “मैंने कुत्तों, बिल्लियों और बंदरों जैसे चार पैरों वाले जानवरों को दौड़ते हुए देखकर इस रिकॉर्ड के लिए तैयारी की थी। ट्रैक पर दौड़ने के लिए अपनी तकनीक को ढालने में मुझे कुछ समय लगा। मैं ज्यादातर रेत में ही प्रशिक्षण लेता था, क्योंकि ट्रैक पर बहुत ज्यादा रिबाउंड होता है, जिससे मेरी दौड़ने की शैली बदल गई।”