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जींद में धर्मांतरण नियमों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने की पहल

हरियाणा के जींद में धर्मांतरण नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने नई घोषणाओं की जानकारी दी है। नए नियमों के अनुसार, धर्म परिवर्तन करने से पहले व्यक्तियों को उपायुक्त कार्यालय में घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा। नाबालिगों के मामलों में माता-पिता की भी सहमति आवश्यक होगी। इसके अलावा, गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए सजा का प्रावधान भी है। जानें इस अधिनियम के तहत और क्या-क्या नियम हैं और नागरिकों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
 

धर्म परिवर्तन के लिए घोषणा पत्र आवश्यक: उपायुक्त


जींद। हरियाणा में धर्मांतरण से संबंधित नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है। उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने बताया कि धर्म परिवर्तन करने के इच्छुक व्यक्तियों को पहले उपायुक्त कार्यालय में एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा।


यदि धर्मांतरण का मामला नाबालिग से संबंधित है, तो जीवित माता-पिता को भी एक अलग घोषणा पत्र देना होगा।


धर्मांतरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता


इसके अलावा, किसी भी धार्मिक समारोह का आयोजन करने वाले को उपायुक्त कार्यालय को पूर्व सूचना देनी होगी। इस प्रक्रिया के तहत, कार्यालय से एक रसीद जारी की जाएगी, जिससे धर्मांतरण की प्रक्रिया का औपचारिक दस्तावेजीकरण होगा।


किसी भी व्यक्ति को इस सूचना के 30 दिनों के भीतर आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार होगा। यदि आपत्ति सही पाई जाती है, तो जांच की जाएगी।


नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम


उपायुक्त ने कहा कि सरकार का उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करना है, बल्कि नागरिकों को धोखे और जबरदस्ती से बचाना है। यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति को गलत तरीके से धर्मांतरण करने से रोकता है।


गैरकानूनी धर्मांतरण पर सजा का प्रावधान


गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए एक से पांच साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति शादी के लिए अपना धर्म छुपाता है, तो उसे तीन से दस साल की कैद और तीन लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।


नाबालिगों या अनुसूचित जाति के व्यक्तियों का धर्मांतरण करने पर चार से दस साल की कैद और तीन लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।


धर्म छिपाकर की गई शादी अमान्य


इस अधिनियम के तहत, यदि कोई व्यक्ति शादी के लिए अपना धर्म छुपाता है, तो वह विवाह अमान्य माना जाएगा। ऐसे विवाह से उत्पन्न बच्चे वैध माने जाएंगे और उनकी संपत्ति का उत्तराधिकार उनके माता-पिता के कानूनों के अनुसार होगा।