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जींद में परिवेदना समिति की बैठक: 12 शिकायतों में से 8 का समाधान

जींद में आयोजित जिला परिवेदना समिति की बैठक में 12 शिकायतें प्रस्तुत की गईं, जिनमें से 8 का समाधान मौके पर ही किया गया। बैठक की अध्यक्षता शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा को करनी थी, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में डीसी ने शिकायतों की सुनवाई की। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि सभी लंबित शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाए। जानें इस बैठक में उठाए गए मुद्दे और उनके समाधान के बारे में।
 

बैठक का आयोजन और शिकायतों का समाधान


जींद में मंगलवार को डीआरडीए सभागार में जिला परिवेदना समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कुल 12 शिकायतें प्रस्तुत की गईं, जिनमें से आठ का समाधान मौके पर ही किया गया। शेष चार शिकायतों को अगली बैठक में पेश करने के लिए निर्देशित किया गया। बैठक की अध्यक्षता शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा को करनी थी, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में डीसी ने शिकायतों की सुनवाई की।


डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि जिला परिवेदना समिति आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रभावी मंच है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी लंबित शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाए और अगली बैठक में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की जाए।


समस्याओं का समाधान

बैठक में विजय कुमार ने अपनी शिकायत प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने बताया कि वह एक गरीब परिवार से हैं और उनकी बेटी की शादी जनवरी 2024 में होने वाली है। श्रम विभाग ने कन्यादान के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक कोई राशि नहीं मिली। डीसी ने श्रम विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रार्थी का आवेदन मुख्यालय भेजा जाए ताकि कन्यादान राशि उपलब्ध कराई जा सके।


कृष्ण कुमार ने शिकायत की कि उसकी जमीन पर गलत तरीके से रजिस्ट्रेशन किया गया है, जिससे उसे सरकारी सब्सिडी नहीं मिल रही है। इस पर डीसी ने उचित कार्रवाई के निर्देश दिए और संबंधित तहसीलदार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए भी कहा।


पारदर्शिता और उचित कार्रवाई

बैठक में शमशेर सिंह की अनुपस्थिति के कारण उनकी शिकायत को अगली बैठक में रखने के निर्देश दिए गए। गुरूचरण सिंह ने अपनी जमीन की निशानदेही के लिए शिकायत की, जिस पर डीसी ने जिला राजस्व अधिकारी को मामले की पारदर्शिता से जांच करने के निर्देश दिए।


मनोहरपुर निवासी कर्ण सिंह की शिकायत पर डीसी ने स्पष्ट किया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन सिंचाई और वन विभाग के अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी नहीं दी, जिससे समय की बर्बादी हुई।