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जुबीन गर्ग की आकस्मिक मृत्यु: फैन की दुखद प्रतिक्रिया

जुबीन गर्ग की आकस्मिक मृत्यु ने उनके प्रशंसकों और संगीत जगत में गहरा शोक पैदा किया है। एक युवा प्रशंसक की दुखद प्रतिक्रिया ने इस घटना को और भी भावुक बना दिया। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और जुबीन गर्ग के संगीत सफर के बारे में।
 

जुबीन गर्ग की मृत्यु पर फैन की प्रतिक्रिया

जुबीन गर्ग का निधन: बुधवार को गुवाहाटी के सरायघाट पुल पर एक युवा प्रशंसक जुबीन गर्ग की मौत को सहन नहीं कर सका। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उसने अपने कपड़े फाड़ते हुए चिल्लाया, 'जुबीन दा यहाँ नहीं हैं, तो हम क्या करेंगे? जय जुबीन दा!' इसके कुछ ही क्षण बाद वह ब्रह्मपुत्र नदी में कूद गया। वहां खड़े लोग स्तब्ध रह गए और कुछ भी नहीं कर सके। पांडु पुलिस ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर सुआलकुची पहाड़ियों तक व्यापक बचाव अभियान शुरू किया, लेकिन अभी तक उस व्यक्ति का कोई पता नहीं चला है।


जांच में शामिल संगीतकार

गुरुवार को, गर्ग की मृत्यु की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) ने संगीतकार शेखर ज्योति गोस्वामी को हिरासत में लिया। अधिकारियों के अनुसार, गोस्वामी उस विवादास्पद नौका यात्रा के दौरान मौजूद थे, जब गर्ग की मृत्यु हुई। हालांकि, उनके खिलाफ अभी तक कोई औपचारिक आरोप नहीं लगाया गया है। SIT इस घटना के सभी पहलुओं को जोड़ने का प्रयास कर रहा है ताकि गर्ग की अचानक मृत्यु के कारणों का पता लगाया जा सके।


जुबीन गर्ग का संगीत सफर

जुबीन गर्ग का जन्म मेघालय में हुआ और वे 1990 के दशक की शुरुआत में असम के संगीत क्षेत्र में प्रसिद्ध हुए। उनका नाम पूरे भारत में इमरान हाशमी की फिल्म 'गैंगस्टर' (2006) के हिट गाने 'या अली' से मशहूर हुआ। गर्ग ने हिंदी के अलावा अपनी मातृभाषाओं जैसे असमिया, बांग्ला, नेपाली और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए। उनके बहुभाषी गीतों ने उन्हें विभिन्न समुदायों में लाखों वफादार प्रशंसक दिलाए। उन्हें अक्सर 'असम की आवाज' के नाम से जाना जाता था।


जुबीन गर्ग का निधन

गर्ग का निधन 52 वर्ष की आयु में सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग दुर्घटना के बाद हुआ। समुद्र से बचाए जाने और अस्पताल में ले जाने के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। सूत्रों के अनुसार, गर्ग समुद्र में सैर के दौरान बीमार पड़ गए और उन्हें पास के एक अस्पताल में ले जाया गया। अस्पताल में रहते हुए उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।


गर्ग की आकस्मिक मृत्यु ने असमिया समुदाय, उनके प्रशंसकों और भारतीय संगीत जगत में गहरा शोक पैदा किया। उनके गीत आज भी लाखों दिलों में जीवित हैं और उनका योगदान संगीत जगत के लिए अमूल्य रहा।