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जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट फ्रंट की शानदार जीत

जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट फ्रंट ने सभी चार केंद्रीय पदों पर विजय प्राप्त की है, जिससे कैंपस में जश्न का माहौल है। इस जीत को छात्र राजनीति में लेफ्ट की मजबूत पकड़ के रूप में देखा जा रहा है। विभिन्न छात्र संगठनों के उम्मीदवारों ने प्रमुख पदों पर जीत हासिल की है। विपक्षी गुट ने कुछ मतदान अनियमितताओं का आरोप लगाया है, जबकि चुनाव समिति ने प्रक्रिया को पारदर्शी बताया। नव निर्वाचित प्रतिनिधियों ने छात्रों की मूल समस्याओं पर ध्यान देने का वादा किया है।
 

जेएनयू चुनाव परिणामों का जश्न

समाचार : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट फ्रंट ने सभी चार केंद्रीय पदों पर विजय प्राप्त कर एक बार फिर अपनी स्थिति मजबूत की है। गुरुवार शाम को परिणामों की घोषणा के बाद, कैंपस में जश्न का माहौल देखने को मिला। विजेता उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने नारेबाज़ी करते हुए जुलूस निकाला और रातभर खुशी का इजहार किया।



लेफ्ट फ्रंट की इस जीत को जेएनयू में छात्र राजनीति में उसकी मजबूत पकड़ के रूप में देखा जा रहा है। इस गठबंधन में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन शामिल हैं। इन संगठनों के उम्मीदवारों ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव जैसे सभी प्रमुख पदों पर जीत हासिल की।


चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद, कैंपस में उत्सव जैसा माहौल बना रहा। छात्रों ने ढोल-नगाड़ों के साथ नारे लगाए, जैसे 'लेफ्ट यूनिटी जिंदाबाद' और 'जेएनयू की आवाज़, जनता की आवाज़'। वहीं, विपक्षी गुट अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने परिणामों को स्वीकार करते हुए कुछ मतदान अनियमितताओं का आरोप लगाया, जबकि चुनाव समिति ने मतदान प्रक्रिया को पूरी तरह शांतिपूर्ण और पारदर्शी बताया। नव निर्वाचित प्रतिनिधियों ने कहा कि वे छात्रों की मूल समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे।


इन समस्याओं में हॉस्टल की कमी, फीस में बढ़ोतरी, लैंगिक समानता और अकादमिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दे शामिल हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि जेएनयू में लेफ्ट संगठनों का वर्षों से मजबूत आधार रहा है। कुछ वर्षों को छोड़कर, जब अन्य गुटों ने बढ़त बनाने की कोशिश की थी, विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में वामपंथी विचारधारा लगातार हावी रही है। इस बार की जीत को उस परंपरा की निरंतरता माना जा रहा है।