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जेफ्री हिंटन की चेतावनी: एआई से बढ़ेगी अमीर-गरीब की खाई

जेफ्री हिंटन, जिन्हें 'AI के गॉडफादर' के रूप में जाना जाता है, ने हाल ही में एआई के विकास के संभावित खतरों के बारे में चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि एआई के कारण नौकरियों में कमी आएगी और अमीर-गरीब के बीच की खाई बढ़ेगी। हिंटन ने यह भी बताया कि बड़ी टेक कंपनियों का एआई में भारी निवेश मानव श्रम को प्रतिस्थापित करेगा। उनके अनुसार, यह समस्या तकनीक की नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे की है जो असमानता को बढ़ावा देता है।
 

जेफ्री हिंटन की गंभीर चेतावनी


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में एक प्रमुख हस्ती और 'AI के गॉडफादर' के रूप में जाने जाने वाले जेफ्री हिंटन ने हाल ही में एक गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि एआई के विकास से मानवता को जितना लाभ होगा, उतना ही नुकसान भी हो सकता है।


नौकरियों का संकट

हिंटन ने यह भी बताया कि एआई के कारण बड़े पैमाने पर नौकरियों में कमी आएगी, और इसका लाभ केवल कुछ अमीर उद्योगपतियों को मिलेगा, जिनमें एलन मस्क जैसे अरबपति शामिल हैं।


अमीर-गरीब के बीच की खाई

ब्लूमबर्ग के वॉल स्ट्रीट वीक कार्यक्रम में, हिंटन ने कहा कि भविष्य में एआई के कारण अमीर और गरीब के बीच की खाई और बढ़ेगी। उनका मानना है कि बड़ी कंपनियां एआई का उपयोग इस तरह करेंगी कि मानव श्रम की जगह मशीनें ले लेंगी। इससे कंपनियों के लाभ में वृद्धि होगी, लेकिन आम लोगों की आजीविका पर खतरा मंडराएगा।


बड़ी कंपनियों का निवेश

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, अल्फाबेट और मेटा जैसी प्रमुख टेक कंपनियां अगले वर्ष लगभग 420 अरब डॉलर एआई विकास में निवेश करने की योजना बना रही हैं। हिंटन ने चेतावनी दी कि यह निवेश सीधे तौर पर रोजगार में कटौती का कारण बनेगा, क्योंकि कंपनियों का लक्ष्य मानव श्रम की जगह एआई का उपयोग करना है।


नौकरियों की बलि

जब हिंटन से पूछा गया कि क्या एआई के विकास में नौकरियों की बलि दिए बिना आगे बढ़ना संभव है, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह संभव है। कंपनियों को लाभ कमाने के लिए मानव श्रम को प्रतिस्थापित करना होगा।' उनके अनुसार, यह वह मोड़ है जहां तकनीक मानवता के खिलाफ काम करती दिखेगी।


अर्थव्यवस्था में असमानता

हिंटन ने कहा कि एआई के इस युग में एलन मस्क जैसे अरबपति सबसे बड़े विजेता बनकर उभरेंगे। उन्होंने कहा, 'मस्क और भी अमीर होंगे, जबकि लाखों लोग बेरोजगार होंगे—और उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं होगी।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह समस्या एआई की नहीं, बल्कि उस सामाजिक ढांचे की है जो असमानता को बढ़ावा देता है।


एआई का पूर्ण प्रतिबंध नहीं है समाधान

हालांकि, हिंटन का मानना है कि एआई को पूरी तरह से रोकना सही समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि एआई से कई उद्योगों की उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है, जिससे विकास की गति तेज होगी। लेकिन यह तभी संभव है जब समाज इस बदलाव के लिए तैयार हो और मानव के लिए रोजगार और आय के नए अवसर बनाए।