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जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद इलियास कश्मीरी का जिहाद पर विवादास्पद भाषण

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद इलियास कश्मीरी ने 14 सितंबर, 2025 को एक रैली में जिहाद का समर्थन किया। उन्होंने अल्लाह के मिशन का हवाला देते हुए लोगों को जिहाद में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। कश्मीरी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेते हुए कहा कि ये लोग जिहाद में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उनकी रैली में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए, जो भारत-पाकिस्तान के बीच के तनावपूर्ण संबंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
 

मसूद इलियास कश्मीरी का जिहाद का आह्वान

जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी मसूद इलियास कश्मीरी: 14 सितंबर, 2025 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आयोजित एक रैली में, मसूद इलियास कश्मीरी ने जिहाद को सही ठहराते हुए भाषण दिया। उसने उपस्थित लोगों से कहा कि अल्लाह ने उसे जिहाद का कार्य सौंपा है और उन्हें भी इस मिशन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, यह कहते हुए कि अल्लाह उन्हें जन्नत देगा। उसने अपनी बातों में हमास का भी उल्लेख किया और कहा कि मुस्लिम देशों में संकट है।


कश्मीरी ने अपने भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए कहा कि ये लोग जिहाद में हस्तक्षेप कर रहे हैं, इसलिए हमें एकजुट होकर इनका सामना करना चाहिए।


कश्मीरी का दृढ़ संकल्प


कश्मीरी ने कहा, “अल्लाह ने मुझे जिहाद का कार्य सौंपा है। मैं अपनी तलवार से लड़ता रहूंगा, चाहे कोई भी हो, चाहे वह चौधरी हो, अमीर हो, ट्रंप, नेतन्याहू, मोदी, कादियानी या रफ़ज़ी।” उसने जोर देकर कहा कि उसका उद्देश्य लोगों को “ला इलाहा इल्लल्लाह” कहने के लिए प्रेरित करना है।




हमास का समर्थन


अपने भाषण में, कश्मीरी ने हमास का समर्थन करते हुए कहा कि मुजाहिदीन ने मुकद्दस की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। उसने मुस्लिम समुदाय से जिहाद में भाग लेने की अपील की, यह दावा करते हुए कि यह प्रभु का आदेश और नबी का तरीका है। यह रैली भर्ती अभियान का हिस्सा थी, जिसमें कश्मीरी ने युवाओं को प्रेरित करने का प्रयास किया।


कश्मीरी की रैली में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, जिनमें युवा भी शामिल थे। कश्मीरी का भाषण भारत और पाकिस्तान के बीच के तनावपूर्ण संबंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, विशेषकर 2019 में बालाकोट हवाई हमले और एनआईए द्वारा उनकी भूमिका की पुष्टि के बाद।