जैश-ए-मोहम्मद ने स्थापित की महिला आतंकी ब्रिगेड, सुरक्षा विशेषज्ञों में चिंता
महिला आतंकी ब्रिगेड का गठन
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए पहली बार एक महिला आतंकी ब्रिगेड का गठन किया है।
इस नई ब्रिगेड का नाम ‘जमात-उल-मोमिनात’ रखा गया है, और इसका नेतृत्व कुख्यात आतंकी मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर करेंगी। सादिया का पति यूसुफ अजहर हाल ही में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था। यह ऑपरेशन 7 मई को बहावलपुर में हुआ था।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान के आतंकी ढांचे में एक नई और खतरनाक प्रवृत्ति की शुरुआत कर सकता है। पहले, आईएसआईएस, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे संगठनों ने महिलाओं को आत्मघाती हमलों और लड़ाकू मिशनों में शामिल किया है, लेकिन दक्षिण एशियाई आतंकी समूह जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा इससे दूर रहे हैं। इस नई महिला ब्रिगेड के गठन की घोषणा जैश के प्रमुख मसूद अजहर द्वारा जारी एक पत्र के माध्यम से की गई है।
यह पत्र जैश के प्रचार मंच ‘अल-कलम मीडिया’ पर प्रकाशित किया गया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि 8 अक्टूबर से बहावलपुर स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली में इस ब्रिगेड की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह स्थान लंबे समय से जैश का मुख्य ठिकाना रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान, जो पहले से ही आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है, अब एक नया और चिंताजनक मोड़ ले रहा है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों ने महिलाओं की एक अलग विंग बनाने का निर्णय लिया है ताकि भर्ती और संचालन का दायरा बढ़ाया जा सके। जैश ने अपने कमांडरों की पत्नियों, रिश्तेदारों और आर्थिक रूप से कमजोर युवतियों को भर्ती के लिए लक्षित किया है, जो जैश के धार्मिक शिक्षण केंद्रों में पढ़ाई कर रही हैं। इन केंद्रों में बहावलपुर, कराची, मुझफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मंसहरा जैसे शहर शामिल हैं।
मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल-सैफ ने इस महिला ब्रिगेड के गठन को मंजूरी दी है। यह निर्णय जैश की नई परिचालन संरचना का हिस्सा है। जैश का यह कदम संकेत देता है कि वह महिला आत्मघाती दस्तों को प्रशिक्षित कर भविष्य के आतंकी अभियानों में इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। क्षेत्रीय सुरक्षा एजेंसियां इस नई रणनीति को लेकर सतर्क हैं और इसे आतंकी संगठनों की भर्ती एवं कट्टरपंथीकरण प्रक्रिया में चिंताजनक विकास के रूप में देख रही हैं।
जानकारी के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में आतंकी ढांचे में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन ने अपने प्रशिक्षण और कैंपो को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।
इसके बाद, लश्कर-ए-तैयबा ने भी अपनी प्रमुख प्रशिक्षण और संचालन सुविधाओं को खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, ये संगठन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पंजाब प्रांत से हटकर यह कदम इसलिए उठा रहे हैं ताकि भविष्य में भारत की सटीक हवाई कार्रवाइयों से बचा जा सके। यह बदलाव इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान अब भी आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है।