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जॉन राइट: भारतीय क्रिकेट के पहले विदेशी कोच की अनोखी कहानी

जॉन राइट, न्यूजीलैंड के पूर्व बल्लेबाज और भारतीय क्रिकेट के पहले विदेशी हेड कोच, ने 2000 से 2005 तक भारतीय टीम को नई दिशा दी। उनके कार्यकाल में भारत ने कई ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिसमें 2003 वनडे विश्व कप का फाइनल शामिल है। राइट की कोचिंग में खिलाड़ियों को स्वतंत्रता मिली, जिससे टीम का प्रदर्शन बेहतर हुआ। जानें उनके योगदान और क्रिकेट करियर के बारे में इस लेख में।
 

जॉन राइट का योगदान

नई दिल्ली: न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर जॉन राइट भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। उन्होंने 2000 से 2005 तक भारतीय टीम के पहले विदेशी हेड कोच के रूप में कार्य किया, जिसके दौरान उन्होंने टीम को नई दिशा दी। उनके कार्यकाल में भारत ने विदेशी धरती पर जीत की नई शुरुआत की। 2003 वनडे विश्व कप में भारत का फाइनल में पहुंचना उनके कोचिंग का सबसे यादगार क्षण रहा।


सौरव गांगुली और नई सोच

यह समय सौरव गांगुली की आक्रामक कप्तानी का था, जिसने टीम इंडिया की सोच को बदल दिया। राइट की रणनीति और खिलाड़ियों को स्वतंत्रता देने के दृष्टिकोण ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने खिलाड़ियों से 100 प्रतिशत प्रदर्शन की अपेक्षा की और खुलकर खेलने की अनुमति दी। इस दौरान युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अवसर मिले, जिससे भारतीय टीम का फील्डिंग स्तर भी ऊंचा हुआ। राइट की कोचिंग में भारत ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीती और 2002 में नेटवेस्ट ट्रॉफी भी हासिल की।


जन्मदिन और करियर के आंकड़े

5 जुलाई को इस महान खिलाड़ी का जन्मदिन है। उनके क्रिकेट करियर के आंकड़े इस प्रकार हैं: टेस्ट में 82 मैच, 148 पारियां, 5334 रन, 185 उच्चतम स्कोर, 12 शतक और 23 अर्धशतक। वनडे में उन्होंने 149 मैच खेले, 148 पारियों में 3891 रन बनाए, जिसमें 101 उच्चतम स्कोर, 1 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं।


राइट का कोचिंग कार्यकाल

भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के बीच, राइट को एक बेहतरीन कोच के रूप में याद किया जाता है। उनके कार्यकाल के बाद ग्रेग चैपल और अनिल कुंबले जैसे बड़े नाम भी विवादों से बच नहीं सके। राइट ने खिलाड़ियों के साथ गहरा तालमेल स्थापित किया और उन्हें स्वतंत्रता दी। यह उनकी कोचिंग की एक बड़ी ताकत थी, जो 2003 विश्व कप और 2001 की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीत में स्पष्ट रूप से दिखाई दी।


कोचिंग की चुनौतियाँ

राइट ने विवादों से दूरी बनाए रखी और हेड कोच के पद को प्रतिष्ठित बनाया। वह टीम इंडिया के पहले विदेशी हेड कोच थे। उनके बाद कई विदेशी कोच आए, लेकिन उनके कार्यकाल की सहजता कई कोचों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुई। गैरी कर्स्टन को छोड़कर, अधिकांश कोचों का कार्यकाल उतना सफल नहीं रहा।


जॉन राइट का दृष्टिकोण

जॉन राइट का मानना था कि भारतीय क्रिकेट में अपार संभावनाएं हैं। सही मार्गदर्शन, स्वतंत्रता और एकता के साथ, यह टीम विश्व क्रिकेट में राज कर सकती है। उनकी कोचिंग ने भारत को एक आक्रामक और आत्मविश्वास से भरी टीम में बदलने की नींव रखी, जिसका प्रभाव बाद के वर्षों में, विशेषकर विश्व कप जीत में देखा गया। भारत ने 2007 में टी-20 विश्व कप और 2011 में वनडे विश्व कप जीते।