झारखंड में गर्भवती महिला को खाट पर ले जाने की दिल दहला देने वाली घटना
गर्भवती महिला की अस्पताल तक पहुंचने की कठिनाई
क्या आज भी कुछ गांवों में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? हाँ, यह घटना झारखंड के कुंदा प्रखंड से है। यहाँ एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा, जिसने सभी की आँखों में आंसू ला दिए। लुकुइया गांव में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान परिजनों ने तीन किलोमीटर तक खाट पर ले जाकर अस्पताल पहुँचाया।
गांव तक पहुँचने के लिए सड़क न होने के कारण ममता वाहन बीच रास्ते में ही रुक गया। जब महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तो परिजनों ने तुरंत ममता वाहन को बुलाया, लेकिन वाहन नहीं आया। गांव से बाहर निकलते ही टेढ़ा पन्ना और मोहन नदियाँ आती हैं, जिन पर पुल नहीं हैं। बारिश के मौसम में पानी के तेज बहाव के कारण पूरा गांव टापू बन जाता है। मजबूर होकर परिजनों ने गर्भवती महिला को खाट पर लिटा दिया और तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। महिला दर्द से कराहती रही।
गांव के बाहर पहुँचने के बाद ही ममता वाहन उपलब्ध हुआ, जिसके बाद उन्हें नकड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। लुकुइया गांव अनुसूचित जनजाति बहुल है, जहाँ की आबादी लगभग तीन सौ है। इसके बावजूद, गांव में सड़क, पुल और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के मौसम में मरीजों और गर्भवती महिलाओं को बाहर ले जाना बहुत कठिन हो जाता है।
अरविंद गंझू ने बताया कि हर दो-चार दिन में किसी न किसी मरीज को खाट या पालकी पर लादकर बाहर ले जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक दोनों नदियों पर पुल का निर्माण नहीं होता, तब तक उनकी समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है।