ट्रंप का भारत के प्रति दोहरा रुख: सत्ताधारी हलकों की प्रतिक्रिया
ट्रंप का दृष्टिकोण और भारत की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि अमेरिका के अलावा किसी अन्य देश की समृद्धि की कोई संभावना नहीं है। उनका दोहरा व्यवहार सभी के सामने स्पष्ट है। फिर भी, यह आश्चर्यजनक है कि उनके मूड के अनुसार भारत के सत्ताधारी वर्ग की प्रतिक्रियाएं बदल जाती हैं।
जब ट्रंप ने सोशल मीडिया पर यह कहा कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत जारी है और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत का इंतजार कर रहे हैं, उसी दिन यह खबर भी आई कि उन्होंने यूरोपीय संघ (ईयू) को भारत पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्देश दिया है। भारत में सत्ताधारी वर्ग अमेरिका के प्रति इतना झुकाव रखता है कि ट्रंप के मूड में थोड़े से बदलाव पर भी यहां खुशी की लहर दौड़ जाती है। पिछले हफ्ते, ट्रंप ने भारत के प्रति नरम रुख दिखाया और मोदी ने उस पर उत्साह से प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा, 'हम दोनों देशों की जनता के उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य के लिए काम करेंगे।' लेकिन अब तक ट्रंप प्रशासन का जो दृष्टिकोण सामने आया है, उसमें अमेरिका के अलावा किसी अन्य देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए कोई संकेत नहीं है। ईयू नेताओं को उन्होंने भारत और चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्देश दिया और रूस से प्राकृतिक गैस के आयात पर पूरी रोक लगाने की बात कही। यह तब है जब उनका प्रशासन चीन के खिलाफ ऐसे कदम उठाने से बच रहा है, जिससे चीन प्रतिक्रिया कर सकता है।
इस बीच, अमेरिकी कंपनियों ने रूस से आवश्यक खनिजों की खरीद जारी रखी है। ट्रंप चाहते हैं कि ईयू एक आत्मघाती कदम उठाए और ऊर्जा के मामले में पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर हो जाए। साथ ही, वह चीन की संभावित प्रतिक्रियाओं का सामना करने के लिए भारत के मामले में अपने प्रशासन का दोहरा रुख पहले ही दिखा चुके हैं। उनके वाणिज्य मंत्री ने भारत के सामने तीन आत्मघाती शर्तें रखी हैं, जिन्हें मानने के बाद ही बीटीए संभव होगा। यह आश्चर्यजनक है कि ट्रंप के इस दोहरे व्यवहार के बावजूद भारत के सत्ताधारी हलकों की प्रतिक्रियाएं बदलती रहती हैं।