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ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की, भारत ने किया खंडन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं होनी चाहिए। ट्रंप के दावों पर भारत की प्रतिक्रिया और हाल के घटनाक्रमों के बारे में जानें।
 

कश्मीर पर ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से कश्मीर विवाद पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है। गुरुवार को व्हाइट हाउस में एक विधेयक पर हस्ताक्षर करते समय, ट्रंप ने कहा कि वह किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा, 'हम भारत और पाकिस्तान को एक साथ लाने जा रहे हैं।' कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ है, लेकिन ट्रंप का दावा है कि वह इसे हल कर सकते हैं। इस बयान ने कश्मीर मुद्दे को फिर से वैश्विक चर्चा का विषय बना दिया है।


भारत ने ट्रंप के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है। भारत ने पहले भी ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को खारिज किया है, खासकर मई 2025 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा था। उस समय ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्धविराम में मध्यस्थता की थी।


इस साल अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था। इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी सीमा पर कार्रवाई की, जिसके बाद 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच बातचीत के बाद युद्धविराम हुआ। भारत ने स्पष्ट किया कि यह युद्धविराम द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का।


ट्रंप के दावों पर भारत की प्रतिक्रिया


ट्रंप ने मई 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने का श्रेय लेते हुए कहा था कि उन्होंने व्यापार और दबाव का उपयोग कर दोनों देशों को युद्धविराम के लिए राजी किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी मध्यस्थता ने एक संभावित परमाणु युद्ध को रोका। हालांकि, भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि युद्धविराम का निर्णय भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत से हुआ, जिसमें अमेरिका या किसी अन्य देश की कोई भूमिका नहीं थी।