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ट्रंप प्रशासन का बड़ा कदम: 30 देशों से राजदूतों की वापसी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में विदेश नीति को नया आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। लगभग 30 देशों में तैनात राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया गया है, जो पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान नियुक्त किए गए थे। यह कदम 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत उठाया गया है, जिससे ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकताओं का समर्थन करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति की जा सकेगी। प्रभावित राजदूतों की विदेश सेवा की नौकरियां समाप्त नहीं होंगी, और वे वाशिंगटन लौटकर अन्य जिम्मेदारियां संभाल सकते हैं।
 

अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव

वॉशिंगटन- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में विदेश नीति को नया आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ट्रंप प्रशासन ने लगभग 30 देशों में तैनात अनुभवी अमेरिकी राजदूतों और वरिष्ठ दूतावास अधिकारियों को उनके पद से हटाकर वाशिंगटन वापस बुलाने का निर्णय लिया है। ये राजनयिक पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान नियुक्त किए गए थे और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद भी अपने पदों पर बने रहे थे।


‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत बदलाव
इस निर्णय को ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति से जोड़ा जा रहा है। यह माना जा रहा है कि विदेश नीति में व्यापक बदलाव की तैयारी के तहत ऐसे राजनयिकों को हटाया जा रहा है, ताकि उनकी जगह उन अधिकारियों को नियुक्त किया जा सके, जो राष्ट्रपति की प्राथमिकताओं और नीतिगत दृष्टिकोण का समर्थन करते हों। विदेश विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले सप्ताह कम से कम 39 देशों में तैनात राजदूतों को सूचित किया गया है कि उनकी सेवाएं जनवरी में समाप्त हो जाएंगी। बुधवार से उन्हें वाशिंगटन स्थित अधिकारियों की ओर से औपचारिक नोटिस मिलने शुरू हो गए थे।


नौकरी की सुरक्षा, वाशिंगटन लौटने का विकल्प
आमतौर पर अमेरिकी राजदूत राष्ट्रपति की इच्छा पर कार्य करते हैं, हालांकि उनका कार्यकाल तीन से चार वर्ष का होता है। ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय से प्रभावित राजदूतों की विदेश सेवा की नौकरियां समाप्त नहीं होंगी। वे चाहें तो वाशिंगटन लौटकर विदेश विभाग में अन्य जिम्मेदारियां संभाल सकते हैं।