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डंकी रूट: विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी का जाल

करनाल में अवैध तरीके से विदेश भेजने वाले एजेंटों का जाल युवाओं को फंसाने का काम कर रहा है। ये एजेंट कम सैलरी वाली नौकरियों में काम करने वाले युवाओं को जल्दी अमीर बनने का सपना दिखाते हैं। लेकिन असलियत में, ये लोग उन्हें खतरनाक डंकी रूट पर भेजते हैं, जहां पासपोर्ट छीनकर पैसे की मांग की जाती है। जानें कैसे ये धोखाधड़ी का खेल चलता है और क्या उपाय किए जा सकते हैं।
 

करनाल में युवाओं का शिकार

करनाल (Dunki Route)। अवैध तरीके से विदेश भेजने वाले एजेंट, कम वेतन वाली प्राइवेट नौकरियों में काम करने वाले युवाओं और छोटे कर्मचारियों को अपने जाल में फंसाते हैं। ये एजेंट दोस्त बनकर उन्हें जल्दी अमीर बनने का सपना दिखाते हैं और कम पैसे में प्लेन से अमेरिका भेजने का वादा करते हैं। शुरुआत में सब कुछ सहज लगता है, लेकिन दुबई के बाद सुरीनाम पहुंचते ही सच्चाई सामने आ जाती है।


खतरनाक सफर की शुरुआत

यहां से डंकी रूट का खतरनाक सफर शुरू होता है। पासपोर्ट छीन लिया जाता है और लगातार पैसे की मांग की जाती है। गाली-गलौज और मारपीट की घटनाएं भी होती हैं। डिपोर्ट होकर लौटे युवाओं ने बताया कि एजेंट रास्ते में पूरी सुविधा का लालच देते हैं, यह कहते हुए कि पूरा सफर प्लेन से होगा और एक कदम भी पैदल नहीं चलना पड़ेगा। लेकिन डंकी रूट पर फंसाकर परिवार से पैसे ऐंठे जाते हैं, जिससे यात्रा का खर्च 5 लाख से बढ़कर 45 से 55 लाख तक पहुंच जाता है।


अमेरिका में सुरक्षा का कोई भरोसा नहीं

इसके बाद भी यह सुनिश्चित नहीं है कि अमेरिका पहुंचकर कितने दिन टिक पाएंगे या सुरक्षित रहेंगे। डंकी रूट पर मनमानी इतनी बढ़ जाती है कि सुरीनाम में पासपोर्ट छीन लिए जाते हैं। युवाओं का कहना है कि उन्हें जंगलों और नदियों के रास्ते से मारते-पीटते आगे ले जाया जाता है। पिछले एक साल में 30 से अधिक युवा डिपोर्ट होकर वापस लौट चुके हैं।


कमाई का झांसा

डिपोर्ट होकर लौटे रवि ने बताया कि वे होटल में शेफ थे। एक एजेंट दोस्त बनकर आया और कहा कि 10 साल की कमाई 6 महीने में हो जाएगी। वर्क वीजा पर 5-6 लाख महीने की नौकरी का लालच दिया। 5 लाख रुपये और टिकट अलग से लेकर प्लेन से भेजने की बात कही। लेकिन रास्ते में फंसाकर एजेंट ने फोन उठाना बंद कर दिया और परिवार को डराकर पैसे वसूले। कुल मिलाकर 45 लाख का नुकसान हुआ।


दिल्ली में ग्रुप बनाकर भेजा गया

डिपोर्ट होकर लौटे रजत ने बताया कि एजेंट पैसे लेकर उन्हें घर से गाड़ी में ले गए और पहले दिल्ली लाए। महिपाल नगर के होटल में 8-10 दिन रखा गया। एक-एक कर युवक आते गए और ग्रुप पूरा होने पर दुबई भेजा गया। यहां तक सब ठीक था, लेकिन आगे छोटे कमरों में 10-15 युवकों के साथ ठूंसा गया। फिर गिन्नी, मैरिको और सुरीनाम प्लेन से भेजा गया। सुरीनाम पहुंचते ही 18 लाख की मांग की गई और पासपोर्ट छीन लिया गया। इसके बाद अमेज़न जंगलों में ले जाकर मुश्किल सफर शुरू किया गया।


सही रास्ता अपनाएं

इमीग्रेशन एडवोकेट प्रीतपाल सिंह पन्नू का कहना है कि विदेश जाने के लिए हमेशा लीगल तरीका अपनाएं। सरकार मान्यता प्राप्त एजेंटों से संपर्क करें। खुद फाइल लगाकर प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। कागजात पूरे होने तक एजेंट की बातों में न आएं। फेक एजेंट डॉक्यूमेंट्स में गड़बड़ी करते हैं और रास्ते में फंसाकर डंकी से वसूली कराते हैं।