डॉ. एस. जयशंकर का पाकिस्तान पर कड़ा रुख: ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा
डॉ. जयशंकर का बयान
डॉ. एस. जयशंकर का भाषण: नई दिल्ली में बुधवार को राज्यसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के समक्ष रखा जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 16 जून के बीच कोई बातचीत नहीं हुई, जिससे पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए गलत प्रचार का खंडन होता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक वह आतंकवाद का पूरी तरह से अंत नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि निलंबित रहेगी। इसके अलावा, उन्होंने आतंकवाद को वैश्विक मंचों पर उठाने में भारत की सफलता और ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति का भी उल्लेख किया।
भारत की नई नीति का संकेत
जयशंकर का बयान: उन्होंने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। यह बयान पाकिस्तान के प्रति भारत की बदलती नीति को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की निगरानी समिति ने पहली बार 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' यानी TRF को अपनी रिपोर्ट में नामित किया है, वही संगठन जिसने 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला किया था।
मध्यस्थता की कोशिशें
जयशंकर का बयान: उन्होंने कहा कि कई देशों ने भारत से संपर्क कर मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दे केवल द्विपक्षीय रूप से सुलझाए जाएंगे। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के आतंकी हमलों का जवाब दिया जाएगा और यदि पाकिस्तान को रोकना है, तो उसे औपचारिक रूप से DGMO के माध्यम से बात करनी होगी।
पाकिस्तान की कार्रवाई की चेतावनी
विदेश मंत्री का बयान: उन्होंने बताया कि 9 मई को अमेरिका की उपराष्ट्रपति वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर पाकिस्तान की संभावित कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हमला हुआ, तो भारत उसका जवाब देगा। इसके बाद भारतीय कार्रवाई में पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली और एयरबेस को निष्क्रिय कर दिया गया। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत ने इस ऑपरेशन में किसी भी देश के दबाव में काम नहीं किया और यह केवल सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए था।