डॉक्टरों का आतंकवादी नेटवर्क: NIA ने किया खुलासा
नई दिल्ली में आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक नए आतंकवादी मॉड्यूल का खुलासा किया है, जिसे 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' के नाम से जाना जा रहा है। इसमें शामिल अधिकांश सदस्य शिक्षित और पेशेवर हैं। सबसे चौंकाने वाली जानकारी यह है कि इस नेटवर्क के पांच प्रमुख सदस्य डॉक्टर हैं, जिन्होंने मिलकर लगभग 26 लाख रुपये की फंडिंग जुटाई थी। इनका उद्देश्य देश के विभिन्न बड़े शहरों में एक साथ विनाशकारी आतंकी हमले करना था।
मुख्य आरोपी की स्वीकारोक्ति
NIA की पूछताछ में इस मॉड्यूल का सरगना मुजम्मिल गनी टूट गया है। उसने स्वीकार किया कि उसने खुद 5 लाख रुपये का योगदान दिया था। अधिकारियों के अनुसार, गनी ने बताया कि आदिल अहमद राथर ने 8 लाख रुपये और उसके भाई मुजफ्फर अहमद राथर ने 6 लाख रुपये दिए। इसके अलावा, शाहीन शाहिद ने 5 लाख रुपये और डॉ. उमर उन-नबी मोहम्मद ने 2 लाख रुपये का योगदान किया। पूरी राशि उमर को सौंपी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमले की योजना उसी के हाथ में थी।
विस्फोटक सामग्री की तैयारी
दो साल तक जुटाई विस्फोटक सामग्री
26 लाख रुपये की राशि अंततः उमर उन-नबी के पास पहुंची। जांच अधिकारियों का मानना है कि हमले को अंजाम देने की जिम्मेदारी भी उमर के पास थी। यह कोई तात्कालिक योजना नहीं थी; आरोपी पिछले दो वर्षों से विस्फोटक सामग्री, रिमोट ट्रिगर डिवाइस और केमिकल इकट्ठा कर रहे थे। मुजम्मिल गनी ने बताया कि उसने गुरुग्राम और नूह क्षेत्र से लगभग 3 लाख रुपये खर्च कर 26 क्विंटल एनपीके फर्टिलाइजर खरीदा था। इस फर्टिलाइजर को अमोनियम नाइट्रेट और यूरिया के साथ मिलाकर शक्तिशाली विस्फोटक बनाने की योजना थी।
आतंकवाद में उच्च शिक्षित लोगों की भूमिका
पढ़े-लिखे लोग ही क्यों बन रहे आतंक के हथियार?
यह मामला इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि इसमें शामिल लोग समाज के उच्च शिक्षित वर्ग से हैं। डॉक्टर, जिन्हें जीवन बचाने का प्रशिक्षण दिया जाता है, वे अब जान लेने के हथियार तैयार कर रहे हैं। यह सवाल उठता है कि कट्टरपंथी विचारधारा किसी भी पृष्ठभूमि के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है।
NIA अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह फंडिंग कहां से आई, क्या कोई विदेशी लिंक हैं और कितने अन्य लोग इस नेटवर्क में सक्रिय हैं। इसके साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि क्या ये लोग ISIS या अलकायदा से प्रेरित थे। देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक नई चुनौती है - 'व्हाइट कॉलर आतंकवाद'। पहले आतंकवाद के लिए गरीबी, अशिक्षा या बेरोजगारी को जिम्मेदार माना जाता था, लेकिन अब उच्च शिक्षित और आर्थिक रूप से सक्षम लोग भी खतरनाक साजिशों में शामिल हो रहे हैं।