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डॉक्टरों के लिए कानूनी सुरक्षा: DMA इंडिया की नई पहल

डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन इंडिया ने डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के लिए कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय लीगल एडवाइजर्स टीम का गठन किया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्यकर्मियों को समय पर कानूनी सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को बिना किसी दबाव के निभा सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम डॉक्टरों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और उन्हें बेहतर तरीके से मरीजों की सेवा करने में मदद करेगा। DMA इंडिया भविष्य में कानूनी जागरूकता कार्यशालाएं और ऑनलाइन लीगल हेल्प डेस्क जैसी योजनाएं भी शुरू करने की योजना बना रहा है।
 

डॉक्टरों को कानूनी सहायता प्रदान करने की पहल

डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन इंडिया ने देशभर में चिकित्सकों और मेडिकल छात्रों को कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय लीगल एडवाइजर्स टीम का गठन किया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्यकर्मियों को समय पर विश्वसनीय कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है, ताकि वे बिना किसी दबाव के अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को निभा सकें।


यह कदम क्यों आवश्यक था

पिछले कुछ वर्षों में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा, झूठे आरोप और मेडिको लीगल मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। इंडियन मेडिकल जर्नल में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत डॉक्टर अपने करियर में किसी न किसी कानूनी या हिंसक स्थिति का सामना करते हैं।


इस प्रकार के माहौल में संगठित और विशेषज्ञ कानूनी सहायता की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।


DMA इंडिया की नई पहल

DMA इंडिया ने यह राष्ट्रीय लीगल एडवाइजर्स टीम डॉ अमित व्यास, राष्ट्रीय प्रमुख और अध्यक्ष के नेतृत्व में गठित की है। संगठन का कहना है कि यह टीम डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों को संरचित और सुलभ कानूनी मार्गदर्शन प्रदान करेगी।


DMA के संस्थापक और राष्ट्रीय महासचिव डॉ शुभ प्रताप सोलंकी इस पहल का समन्वय कर रहे हैं। उनके अनुसार, समय पर कानूनी सलाह कई मामलों में डॉक्टरों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से बचा सकती है।


विशेषज्ञों का दृष्टिकोण

DMA के सह संस्थापक और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ भानु कुमार का कहना है कि वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था में डॉक्टरों के लिए कानूनी जागरूकता उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी चिकित्सा दक्षता। यह पहल डॉक्टरों के आत्मविश्वास और पेशेवर सुरक्षा को मजबूत करेगी।


नेशनल लीगल एडवाइजर्स टीम का कार्यक्षेत्र

DMA की इस टीम में स्वास्थ्य कानून और मेडिको लीगल मामलों के अनुभवी अधिवक्ता शामिल किए गए हैं। यह टीम निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करेगी:


• कानूनी सलाह और मार्गदर्शन
• मेडिको लीगल मामलों में सहयोग
• कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न से सुरक्षा
• झूठे आरोपों से जुड़े मामलों में समर्थन
• न्यायिक और प्रशासनिक संस्थाओं के समक्ष प्रतिनिधित्व


घोषित किए गए राष्ट्रीय लीगल एडवाइजर्स

DMA इंडिया द्वारा घोषित प्रमुख लीगल एडवाइजर्स में शामिल हैं:


• एडवोकेट आदर्श सिंह, सुप्रीम कोर्ट
• एडवोकेट संजीव गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट
• एडवोकेट मनीषा तिवारी, बॉम्बे हाई कोर्ट
• आरजू खट्टर, दिल्ली हाई कोर्ट
• एडवोकेट विधि गुप्ता, दिल्ली हाई कोर्ट
• एडवोकेट मृणाल किशोर, सुप्रीम कोर्ट
• एडवोकेट स्नेहा रानी, सुप्रीम कोर्ट


इन अधिवक्ताओं के पास देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में लंबा अनुभव है।


डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों पर इसका असर

इस राष्ट्रीय कानूनी नेटवर्क से डॉक्टरों को त्वरित सहायता, कानूनी प्रक्रिया की बेहतर समझ, अनावश्यक दबाव से राहत और पेशेवर सम्मान की सुरक्षा जैसे फायदे मिलेंगे।


विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की संरचित व्यवस्था से डॉक्टर अधिक आत्मविश्वास के साथ मरीजों की सेवा कर सकेंगे।


आगे क्या होगा

DMA इंडिया आने वाले समय में कानूनी जागरूकता कार्यशालाएं, ऑनलाइन लीगल हेल्प डेस्क और मेडिकल कॉलेजों में ओरिएंटेशन प्रोग्राम जैसे कदम शुरू करने की योजना बना रहा है।