डोनाल्ड ट्रंप का BRICS पर हमला: क्या अमेरिका की धमकियों से डर गए हैं सदस्य देश?
ट्रंप का BRICS पर तीखा बयान
अमेरिका के राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर BRICS समूह पर कड़ी टिप्पणी की है। व्हाइट हाउस में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित कानून पर हस्ताक्षर करते समय, ट्रंप ने BRICS देशों को चेतावनी दी कि यदि वे अमेरिकी डॉलर की वैश्विक स्थिति को चुनौती देने का प्रयास करते हैं, तो अमेरिका उन पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाएगा। उन्होंने BRICS को एक "तेजी से खत्म होता समूह" करार देते हुए कहा कि उनकी धमकियों से समूह के सदस्य देशों में भय फैल गया है।
BRICS का डॉलर के खिलाफ प्रयास
ट्रंप ने आरोप लगाया कि BRICS समूह, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका और कुछ नए सदस्य शामिल हैं, अमेरिकी डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को समाप्त करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि BRICS डॉलर की शक्ति को खत्म करना चाहता है और जब उन्होंने इसके बारे में सुना, तो उन्होंने इसे सख्ती से नकारा। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि BRICS वास्तव में किसी ठोस ढांचे में एकजुट होने का प्रयास करेगा, तो अमेरिका उसे जल्दी ही समाप्त कर देगा।
BRICS देशों में डर का माहौल
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी कहा कि उनके कड़े रुख और टैरिफ की धमकी ने BRICS नेताओं के बीच एकता को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा, "वे टैरिफ नहीं चाहते थे। वे डर गए हैं और लगभग मिलना नहीं चाहते।" ट्रंप के अनुसार, यदि कोई नया व्यापार समझौता नहीं हुआ, तो 1 अगस्त से प्रस्तावित टैरिफ लागू किए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही संबंधित देशों को टैरिफ दरों के बारे में आधिकारिक पत्र भेजेंगे।
ब्राजील पर विशेष ध्यान
ट्रंप ने विशेष रूप से ब्राजील को निशाना बनाते हुए घोषणा की है कि अगस्त से ब्राजील से आयातित वस्तुओं पर 50% तक टैरिफ लगाया जाएगा। यह कदम BRICS के खिलाफ उनकी आक्रामक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
डिजिटल डॉलर पर ट्रंप की आपत्ति
अपने संबोधन में ट्रंप ने अमेरिकी सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी के विचार को एक बार फिर खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं होगा।
BRICS की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
BRICS नेताओं ने ट्रंप के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि यह समूह अमेरिका विरोधी नहीं है। हालांकि, BRICS देशों ने एक साझा करेंसी की योजना को टालते हुए "BRICS Pay" नामक एक क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट सिस्टम को विकसित किया है, जो सदस्य देशों को अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने में सक्षम बनाएगा।