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तमिलनाडु के नेता का विवादास्पद बयान: रामायण और महाभारत को ऑनर किलिंग का जिम्मेदार ठहराया

तमिलनाडु के एक नेता ने रामायण और महाभारत को ऑनर किलिंग का जिम्मेदार ठहराया है, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने इस बयान की तीखी आलोचना की है, यह कहते हुए कि यह सनातन धर्म को बदनाम करने की कोशिश है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और नेताओं की प्रतिक्रियाएं।
 

विवादास्पद बयान का असर

नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के सहयोगी पार्टी के नेता ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों को ऑनर किलिंग का कारण बताया है। उनके अनुसार, इन ग्रंथों में कुछ कथाएं जाति आधारित हिंसा और अंतरजातीय विवाहों के खिलाफ कठोर दृष्टिकोण को सही ठहराती हैं।
वीसीके के नेता वन्नियारासु ने कहा कि रामायण और महाभारत जैसी हिंदू महाकाव्य कथाएं समाज में ऑनर किलिंग की वैचारिक जड़ें हैं। उन्होंने विशेष रूप से रामायण के उत्तर कांड का उदाहरण दिया। वन्नियारासु ने बताया कि उत्तर कांड में एक ब्राह्मण अपने मृत बच्चे के साथ भगवान राम के पास जाता है और शासन की विफलता का उल्लेख करता है। इसके बाद भगवान राम जंगल में एक शूद्र तपस्वी शंबूक को उल्टा लटकते हुए तप करते हुए देखते हैं। भगवान राम उससे पूछते हैं कि निम्न जाति का होते हुए वह तपस्या कैसे कर सकता है और फिर उसका वध कर देते हैं। कथा के अनुसार, शंबूक की हत्या के बाद ब्राह्मण का मृत बच्चा जीवित हो जाता है। वन्नियारासु का कहना है कि इन ग्रंथों की कुछ कथाएं जाति आधारित हिंसा को वैधता प्रदान करती हैं।


भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा के पूर्व अध्यक्ष के अन्नामलाई ने वन्नियारासु के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे सनातन धर्म को बदनाम करने की एक सुनियोजित साजिश बताया। अन्नामलाई ने यह भी सवाल उठाया कि रामायण का ऑनर किलिंग से क्या संबंध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वन्नियारासु जिस शंबूक प्रसंग का उल्लेख कर रहे हैं, वह वाल्मीकि रामायण का हिस्सा नहीं है और न ही कंबन रामायण में है। यह एक बाद में जोड़ा गया हिस्सा माना जाता है, जिसकी प्रामाणिकता पर विद्वानों में मतभेद हैं।