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तुर्किए में पैगंबर के कार्टून पर भड़की धार्मिक भावनाएं

तुर्किए में एक विवादास्पद कार्टून के प्रकाशन ने धार्मिक भावनाओं को भड़का दिया है, जिसके चलते देशभर में प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं हुई हैं। इस्तांबुल की अदालत ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया है, जबकि पत्रिका के प्रकाशक इस कार्टून को लेकर अपने बचाव में हैं। राष्ट्रपति एर्दोआन की स्थिति भी इस विवाद से सवालों के घेरे में आ गई है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
 

तुर्किए में विवादास्पद कार्टून का मामला

तुर्किए में एक गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है, जिसका कारण एक कार्टून है जो पैगंबर मोहम्मद और पैगंबर मूसा को दर्शाता है। यह कार्टून एक स्थानीय पत्रिका द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिसके खिलाफ लोगों ने तीव्र आपत्ति जताई। इस्तांबुल की अदालत ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया है। हालांकि, प्रकाशकों का कहना है कि इस कार्टून का पैगंबर मोहम्मद से कोई संबंध नहीं है। धार्मिक भावनाओं से जुड़े इस मुद्दे ने पूरे देश में हलचल मचा दी है।


राजधानी इस्तांबुल सहित विभिन्न शहरों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जहां प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को नाकाबंदी करनी पड़ी, और कुछ स्थानों पर ये प्रदर्शन हिंसक भी हो गए।


कार्टून का विवरण और प्रतिक्रिया

लेमन पत्रिका द्वारा प्रकाशित इस कार्टून में पैगंबर मोहम्मद और पैगंबर मूसा को हवा में अभिवादन करते हुए दिखाया गया है, जबकि उनके चारों ओर मिसाइलें गिर रही हैं। इस चित्र ने तुरंत आक्रोश पैदा किया, जिसके परिणामस्वरूप पत्रिका के मुख्यालय पर हमला हुआ। वहां एक इस्लामी संगठन से जुड़े युवकों के समूह ने इमारत पर पत्थर फेंके। न्याय मंत्री यिलमाज़ तुनक ने कहा कि पत्रिका में धार्मिक मूल्यों का अपमान करने के आरोपों की जांच शुरू की गई है।


तुनक ने यह भी कहा कि पैगंबर को चित्रित करने वाले कार्टून धार्मिक संवेदनशीलता और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाते हैं।


एर्दोआन की स्थिति पर सवाल

तुर्किए से आई तस्वीरें राष्ट्रपति एर्दोआन की स्थिति पर भी सवाल उठाती हैं। एर्दोआन खुद को इस्लामिक जगत के खलीफा के रूप में प्रस्तुत करते हैं। गाजा युद्ध से लेकर इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष तक, एर्दोआन ने इस्लामिक एकता का समर्थन किया है। लेकिन उनके देश में पैगंबर के प्रति अपमान का मामला यह दर्शाता है कि एर्दोआन के इस्लामिक एकता के दावे केवल भाषणों तक सीमित हैं। जब प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए, तब जाकर एर्दोआन की पुलिस ने कार्रवाई की।