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तेलंगाना में केसीआर परिवार की राजनीति में उथल-पुथल

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के परिवार में हालिया राजनीतिक मतभेदों ने नया मोड़ लिया है। उनकी बेटी के कविता ने स्वतंत्र रूप से राजनीति में कदम रखा है और 17 जुलाई को रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है। यह आंदोलन पिछड़ी जातियों के आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए है, जिसे पूर्व सरकार ने विधानसभा से पारित किया था लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली। क्या यह आंदोलन अन्य राज्यों की सरकारों को भी प्रभावित करेगा? जानें इस राजनीतिक संघर्ष के बारे में अधिक जानकारी।
 

राजनीतिक संघर्ष का नया अध्याय

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के परिवार में हाल ही में राजनीतिक मतभेद सामने आए हैं। उनकी बेटी, के कविता, अब स्वतंत्र रूप से राजनीति में सक्रिय हो गई हैं। इस बीच, पार्टी के भीतर केसीआर का उत्तराधिकार उनके बेटे केटी रामाराव को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। कविता ने अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए एक अभियान शुरू किया है।


उन्होंने 17 जुलाई को रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है। इस संदर्भ में, उन्होंने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें बताया कि 17 जुलाई को दक्कन से कोई ट्रेन दिल्ली के लिए नहीं जाएगी और न ही दिल्ली की कोई ट्रेन वहां पहुंचेगी।


यह आंदोलन पिछड़ी जातियों के आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। तेलंगाना की पूर्व सरकार ने पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण को 42 प्रतिशत करने का विधेयक विधानसभा से पारित कर राज्यपाल को भेजा था, जिसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। कविता इस मुद्दे पर आंदोलन करेंगी। ध्यान देने योग्य है कि कई अन्य राज्यों ने भी आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए विधेयक पारित किए हैं, लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार और बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने भी ऐसे विधेयक पारित किए हैं, लेकिन ये दोनों सरकारें इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि तेलंगाना में, विपक्षी पार्टी बीआरएस की नेता के कविता ने इस मुद्दे पर बड़े आंदोलन का ऐलान किया है। क्या हेमंत सरकार या उनकी पार्टी झारखंड में इस तरह का कोई आंदोलन कर पाएगी?