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तेलंगाना में योग दिवस की तैयारी के लिए 24 घंटे की उल्टी गिनती कार्यक्रम

तेलंगाना में योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सिकंदराबाद में 24 घंटे की उल्टी गिनती कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की तैयारी करना है। राज्यपाल ने योग के महत्व और इसके स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों और योग प्रेमियों ने भाग लिया, जो योग को एक स्वस्थ जीवनशैली के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
 

योग के प्रति उत्साह बढ़ाने का कार्यक्रम

तेलंगाना में योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की तैयारी के लिए, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड में 24 घंटे की उल्टी गिनती कार्यक्रम में भाग लिया। यह आयोजन भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अंतर्गत मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (MDNIY) द्वारा आयोजित किया गया।


राज्यपाल ने इस अवसर पर योग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि योग केवल एक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली एक समग्र जीवनशैली है। उन्होंने बताया कि योग तनाव को कम करने, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाने और समग्र कल्याण में सुधार करने में सहायक है।


सीपी राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने योग को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों के कारण ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिली, जिसने विश्वभर में योग के अभ्यास को बढ़ावा दिया।


राज्यपाल ने कहा कि योग विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों को जोड़ने का एक शक्तिशाली माध्यम है, जो वैश्विक स्तर पर सद्भाव और शांति को बढ़ावा देता है। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों और राज्य के निवासियों से आग्रह किया कि वे योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं, ताकि एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण हो सके।


इस कार्यक्रम में MDNIY के निदेशक डॉ. ईश्वर वी. बसवराडी और आरपीएफ के डीजी (दक्षिण मध्य क्षेत्र) डॉ. अरुण कुमार सहित कई प्रमुख व्यक्ति और योग प्रेमी शामिल हुए। सभी ने मिलकर योग सत्र में भाग लिया, जो अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की दिशा में पहला कदम था। यह आयोजन जागरूकता बढ़ाने और अधिक से अधिक लोगों को इस प्राचीन भारतीय प्रथा से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।