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तेलंगाना में 'सना बिय्यम' योजना में कालाबाजारी का खुलासा

तेलंगाना में 'सना बिय्यम' योजना के तहत कालाबाजारी का मामला सामने आया है, जिसमें राशन डीलर लाभार्थियों की मजबूरी का फायदा उठाकर चावल का कोटा अपने पास रख रहे हैं। यह गोरखधंधा पूरे राज्य में फैला हुआ है, जिससे सरकार की योजना का उद्देश्य विफल हो रहा है। जानें इस भ्रष्टाचार के पीछे का सच और सरकार को क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।
 

सना बिय्यम योजना पर संकट

तेलंगाना की सरकार की महत्वाकांक्षी 'सना बिय्यम' (फाइन चावल) योजना अब कालाबाजारी के संकट में फंस गई है। इस गोरखधंधे के पीछे राशन की दुकानों के डीलर हैं, जो लाभार्थियों की मजबूरी का फायदा उठाकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं।


डीलर योजना के लाभार्थियों को प्रति किलो 5 से 10 रुपये का लालच देकर उनका चावल का कोटा अपने पास रख लेते हैं। कई लाभार्थी इस चावल को लेने में रुचि नहीं रखते या सिस्टम की परेशानियों से तंग आकर नकद पैसे लेना बेहतर समझते हैं।


इसके बाद, डीलर इस उच्च गुणवत्ता वाले सरकारी चावल को खुले बाजार में चावल मिलों को 25 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचकर अमीर बन जाते हैं। यह समस्या केवल कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में एक संगठित नेटवर्क के रूप में फैली हुई है।


पहले मोटे चावल की कालाबाजारी इतनी आसान नहीं थी, लेकिन 'सना बिय्यम' की उच्च गुणवत्ता ने इसे तस्करों और भ्रष्ट डीलरों के लिए एक आकर्षक वस्तु बना दिया है। इस मिलीभगत के कारण सरकार की एक अच्छी योजना का उद्देश्य विफल हो रहा है और जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है। इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को जमीनी स्तर पर निगरानी और सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।