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दक्षिण अफ्रीका में पति को पत्नी का सरनेम अपनाने की मिली अनुमति

दक्षिण अफ्रीका में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत, अदालत ने पति को पत्नी का सरनेम अपनाने की अनुमति दी है। यह निर्णय लैंगिक असमानता को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अदालत ने कहा कि यह प्रथा पुरानी उपनिवेशकालीन कानूनों से प्रभावित थी, जो अब समाप्त हो गई है। जानें इस बदलाव के पीछे की कहानी और इसके सामाजिक प्रभाव के बारे में।
 

शादी के बाद सरनेम बदलने की प्रथा में बदलाव

नई दिल्ली - आज के समय में जब समानता की बातें की जाती हैं, तब भी शादी के बाद सरनेम बदलने की परंपरा पर चर्चा होती है। आमतौर पर महिलाएं शादी से पहले अपने माता-पिता का सरनेम रखती हैं और विवाह के बाद पति का सरनेम अपनाने के लिए बाध्य होती हैं।


हालांकि, अब इस परंपरा में बदलाव देखने को मिल रहा है। कई देशों में पुरुषों ने शादी के बाद पत्नी का सरनेम अपनाने की पहल की है। फिर भी, कुछ स्थानों पर यह अभी भी वर्जित है। हाल ही में, दक्षिण अफ्रीका ने इस परंपरा को बदलते हुए एक नया अध्याय लिखा है। वहां एक पुराना कानून था, जो पुरुषों को पत्नी का सरनेम रखने की अनुमति नहीं देता था। अदालत ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि यह प्रथा लैंगिक असमानता को बढ़ावा देती है और पुरुषों और महिलाओं के अधिकारों में भेदभाव करती है।


अफ्रीकी परंपरा का संदर्भ
कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि उपनिवेशवाद से पहले अफ्रीकी परंपरा में महिलाएं शादी के बाद भी अपने मायके का सरनेम रखती थीं। उनका नाम बदलना अनिवार्य नहीं था। यह प्रथा रोमन और डच कानूनों से शुरू हुई थी। अब "बर्थ्स एंड डेथ्स रजिस्ट्रेशन एक्ट" में संशोधन के बाद पति भी पत्नी का सरनेम रख सकेंगे।