दिल की बीमारियों का खतरा: जेनेटिक कारण और बचाव के उपाय
दिल की बीमारियों का जेनेटिक संबंध
जब हम हार्ट अटैक का जिक्र करते हैं, तो अक्सर गलत खानपान, धूम्रपान और तनाव का नाम लिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल की बीमारियों का खतरा वंशानुगत कारणों से भी बढ़ सकता है? यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन को हार्ट डिजीज का सामना करना पड़ा है, तो यह आपके लिए भी जोखिम बढ़ा सकता है, भले ही आप कितने भी स्वस्थ क्यों न हों।
जेनेटिक कारणों से बढ़ता खतरा
एक वरिष्ठ सलाहकार के अनुसार, कुछ व्यक्तियों में ऐसे जीन होते हैं जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित नहीं कर पाते। ये जीन रक्तचाप को असंतुलित कर सकते हैं या शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ता है।
क्या हम अपने जीन को बदल सकते हैं?
सीधा उत्तर है– नहीं। हम अपने जेनेटिक गुणों को नहीं बदल सकते, लेकिन हम उनसे जुड़े जोखिम को कम कर सकते हैं। यह समझदारी, सतर्कता और समय पर जांच के माध्यम से संभव है।
आप क्या कर सकते हैं?
परिवार की मेडिकल हिस्ट्री को जानें: यदि परिवार में किसी को दिल की बीमारी हुई है, तो इसे नजरअंदाज न करें। डॉक्टर को बताएं ताकि वह आपकी समय पर जांच कर सके।
सही जीवनशैली अपनाएं:
संतुलित आहार लें जिसमें सब्जियां, फल और फाइबर अधिक हों।
ज्यादा नमक और चीनी से बचें।
धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलें या कोई शारीरिक गतिविधि करें।
तनाव को प्रबंधित करें: लगातार तनाव दिल पर दबाव डालता है। ध्यान, योग या अपनी पसंदीदा गतिविधियों से मानसिक सुकून पाना फायदेमंद है।
समय पर जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव
अक्सर लोग सोचते हैं कि वे युवा हैं, इसलिए हार्ट अटैक का खतरा नहीं है। लेकिन सच यह है कि आजकल कम उम्र के लोगों में दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, खासकर जिनका पारिवारिक इतिहास ऐसा है। इसलिए, अपनी जेनेटिक प्रवृत्तियों को जानना और उसके अनुसार जीवनशैली में बदलाव करना समझदारी है।