दिलीप को मिली राहत: 2017 के बलात्कार मामले में बरी होने का फैसला
केरल की अदालत ने दिलीप को बरी किया
तिरुवनंतपुरम: केरल की एर्नाकुलम सत्र अदालत ने सोमवार को मलयालम सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप को 2017 में हुई एक अभिनेत्री के अपहरण और बलात्कार के मामले में बरी कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष दिलीप की संलिप्तता को साबित नहीं कर सका। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।
आठ साल की कानूनी लड़ाई का अंत
यह घटना फरवरी 2017 की है, जब एक प्रमुख मलयालम अभिनेत्री को उनकी कार से अगवा किया गया। उन्हें दो घंटे तक यौन शोषण का सामना करना पड़ा और फिर छोड़ दिया गया। पीड़िता ने साहस दिखाते हुए मामला दर्ज कराया, जिसने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया।
अभियोजन पक्ष का आरोप था कि यह घटना एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी और दिलीप ने इसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया। उन पर सबूत नष्ट करने का भी आरोप लगाया गया। हालांकि, दिलीप ने हमेशा अपनी बेगुनाही का दावा किया।
कोर्ट में सुनवाई का क्या हुआ?
इस मामले में कुल 261 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें कई फिल्मी हस्तियां शामिल थीं। चौंकाने वाली बात यह रही कि 28 गवाह अपने पहले के बयान से मुकर गए, जिससे अभियोजन पक्ष का मामला कमजोर हो गया। अदालत ने 833 दस्तावेज और 142 भौतिक सबूतों की जांच की। बचाव पक्ष ने 221 दस्तावेज पेश किए। गवाहों की सुनवाई 438 दिनों तक चली।
किसे मिली सजा, कौन हुआ बरी?
दिलीप के अलावा तीन अन्य लोगों को भी बरी किया गया। लेकिन मामले के मुख्य आरोपी पल्सर सुनी (सुनील एनएस), मार्टिन एंटनी, मणिकंदन, विजेश, सलीम और प्रदीप को बलात्कार और साजिश के लिए दोषी ठहराया गया।
फैसले के बाद दिलीप ने अदालत परिसर में कहा, “यह मेरे खिलाफ एक सोची-समझी साजिश थी। मैं अपने सभी वकीलों और मुझे समर्थन देने वाले सभी लोगों का दिल से आभार व्यक्त करता हूं।” पीड़िता भी फैसले के समय अदालत में मौजूद थीं। आठ साल की कानूनी लड़ाई के बाद दिलीप को राहत मिली है, जबकि अन्य आरोपी अब सजा का सामना करेंगे।