×

दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में दो आरोपियों को दी जमानत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद सुरक्षा उल्लंघन के मामले में नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत दी है। यह निर्णय तब आया जब अदालत ने मामले की जांच पूरी होने और आरोप पत्र दाखिल होने पर विचार किया। NIA ने जमानत का विरोध किया, यह कहते हुए कि यह अपराध गंभीर है। अन्य आरोपी अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के निर्णय के पीछे के कारण।
 

दिल्ली उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को संसद सुरक्षा उल्लंघन के मामले में दो आरोपियों, नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत प्रदान की। यह घटना 13 दिसंबर, 2023 को हुई थी, जब कुछ घुसपैठियों ने संसद की कार्यवाही में बाधा डालते हुए रंगीन धुआं छोड़ने वाले केन का उपयोग किया और नारेबाजी की। न्यायमूर्ति अमित शर्मा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने प्रत्येक आरोपी को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी।
अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो यह दर्शाए कि आरोपी किसी आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए थे। इसके अलावा, उनके खिलाफ कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और न ही उनके भागने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोई आशंका है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इन जमानत याचिकाओं का विरोध किया, यह कहते हुए कि यह अपराध गंभीर है और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आता है। एजेंसी ने यह भी बताया कि मामले में साजिश के पहलुओं की जांच अभी भी चल रही है। अन्य आरोपियों, जिनमें सागर शर्मा, मनोरंजन डी, अमोल शिंदे और ललित झा शामिल हैं, अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं। आरोपियों पर UAPA की विभिन्न धाराओं और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें आपराधिक साजिश, अतिचार और गैरकानूनी गतिविधियां शामिल हैं।