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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए चीन के सुझाव: क्या कर सकती है भारत सरकार?

चीन की प्रवक्ता यू जिंग ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने बीजिंग के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में बदलाव, कोयले के उपयोग में कमी, और गैर-जरूरी बाजारों का स्थानांतरण आवश्यक है। हालांकि, इन उपायों को लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि इससे रोजगार और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। जानें कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
 

चीन की सलाह: दिल्ली-एनसीआर के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपाय


नई दिल्ली: चीन की प्रवक्ता यू जिंग ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के संदर्भ में भारतीय प्रशासन और नागरिकों को सलाह दी है कि बीजिंग ने अपनी हवा को साफ करने के लिए कौन सी रणनीतियाँ अपनाई हैं। हालांकि, उनका सुझाव लागू करना आसान नहीं होगा और इसके लिए एक व्यापक योजना और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी।


औद्योगिक क्षेत्र में बदलाव की आवश्यकता

यू जिंग ने बीजिंग के अनुभव का उल्लेख करते हुए कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े बदलावों से वायु प्रदूषण में काफी कमी आई। उन्होंने सुझाव दिया कि दिल्ली-एनसीआर में कुछ भारी उद्योगों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, बीजिंग में शोगांग स्टील कंपनी को स्थानांतरित करने से हवा में ठोस प्रदूषण कणों में 20% की कमी आई। दिल्ली में, एमएसएमई सेक्टर में 2.65 लाख रजिस्टर्ड इकाइयाँ हैं, और एनसीआर क्षेत्र में गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद जैसे मैन्युफैक्चरिंग हब मौजूद हैं।


खाली स्थान का उपयोग

यू जिंग ने सुझाव दिया कि हटाए गए उद्योगों की जगह को पार्क, वाणिज्यिक क्षेत्र, सांस्कृतिक और तकनीकी केंद्रों में परिवर्तित किया जाना चाहिए। बीजिंग ने शोगांग की जगह पर 2022 विंटर ओलंपिक्स के आयोजन के लिए बड़े बदलाव किए, जिससे शहर के केंद्र में गैर-जरूरी औद्योगिक गतिविधियों में कमी आई और पर्यावरण में सुधार हुआ।


राजधानी से गैर-जरूरी बाजारों का स्थानांतरण

बीजिंग ने अपने उदाहरण में कहा कि थोक बाजार, लॉजिस्टिक्स हब और कुछ शैक्षणिक एवं चिकित्सा संस्थानों को अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया। इससे राजधानी के संसाधनों पर दबाव कम हुआ। इसी तरह, दिल्ली-एनसीआर में भी जो संस्थान और उद्योग आवश्यक नहीं हैं, उन्हें स्थानांतरित कर प्रदूषण और यातायात पर दबाव कम किया जा सकता है।


कोयले के उपयोग में कमी

यू जिंग ने कोयले के उपयोग को कम करने पर जोर दिया। बीजिंग ने कोयले से हीटिंग और ऊर्जा उत्पादन को घटाया और स्वच्छ ऊर्जा और प्राकृतिक गैस पर स्विच किया। चार बड़े कोयला पावर प्लांट बंद कर दिए गए और छोटे कोयले के बॉयलर को उच्च दक्षता वाले सिस्टम से बदल दिया गया। इसके अलावा, प्रदूषण को रोकने के लिए कोयले पर पाबंदी लागू की गई और अन्य प्रांतों से स्वच्छ बिजली आयात की गई। 2025 तक, बीजिंग में कोयले की खपत 21 मिलियन टन से घटकर केवल 600,000 टन रह जाएगी।


चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में इतने बड़े बदलाव को लागू करना आसान नहीं है। यहाँ उद्योगों की संख्या बहुत अधिक है और इनके स्थानांतरण या बंद होने से रोजगार और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, ऊर्जा स्रोतों का बदलाव, स्वच्छ गैस और बिजली आपूर्ति नेटवर्क को मजबूत करना, और सामाजिक तथा राजनीतिक सहमति बनाना भी आवश्यक होगा।


यू जिंग के सुझाव प्रदूषण नियंत्रण के लिए तकनीकी उपायों के साथ-साथ शहर की योजना, उद्योग नीति और ऊर्जा रणनीति के समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता को दर्शाते हैं। दिल्ली के लिए चुनौती यह है कि चीन जैसी त्वरित क्रांति संभव नहीं है, लेकिन चरणबद्ध और रणनीतिक बदलाव से हवा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।