×

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर, एक्यूआई 300 के पार

दिल्ली-एनसीआर में दीपावली से पहले वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार पहुंच गया है, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों से बाहर न निकलने और मास्क पहनने की सलाह दी है। जानें इस गंभीर स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
 

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का बढ़ता संकट

दीपावली के नजदीक आते ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के स्तर को पार कर गया है, जो कि 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।


कुछ स्थानों पर तो स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि एक्यूआई ने लाल निशान को भी पार कर लिया है। नोएडा के विभिन्न क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा दर्ज किया गया है। सेक्टर-62 में एक्यूआई 244, सेक्टर-1 में 286, और सेक्टर-116 में 290 तक पहुंच गया। सबसे चिंताजनक स्थिति सेक्टर-125 में देखी गई, जहां एक्यूआई 319 दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी के बेहद करीब है।


दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। ओखला फेज-2 में एक्यूआई 223, पुसा में 277 और मुनकद में 282 दर्ज किया गया। वहीं, वज़ीरपुर में एक्यूआई 359, बवाना में 312 और आनंद विहार में 379 तक पहुंच गया, जो सीधे तौर पर 'गंभीर' श्रेणी की चेतावनी देता है। गाजियाबाद के वसुंधरा में एक्यूआई 290 और इंदिरापुरम में 298, जबकि संजय नगर में 325 और लोनी में 351 दर्ज किया गया। पूरे जिले में औसतन वायु गुणवत्ता 300 के पार है, जिससे आम नागरिकों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है।


वायु प्रदूषण की बढ़ती गंभीरता को देखते हुए नोएडा, दिल्ली और गाजियाबाद में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) स्टेज-1 लागू किया गया है। सुबह से ही प्राधिकरण की टीमें सड़कों पर वॉटर स्प्रिंकलर के जरिए धूल नियंत्रण का प्रयास कर रही हैं। सड़कों की धुलाई, निर्माण स्थलों पर कवरिंग और कूड़ा जलाने पर सख्ती जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।


स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों से अपील की है कि वे बिना आवश्यकता बाहर न निकलें और यदि निकलें तो मास्क का उपयोग करें। बच्चों, बुजुर्गों और सांस के रोगियों के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है।