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दिल्ली एयरपोर्ट पर एटीसी सिस्टम क्रैश: चेतावनियों के बावजूद लापरवाही

दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एटीसी सिस्टम के क्रैश ने फ्लाइट संचालन को प्रभावित किया, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। यह समस्या पहले से चेतावनी दिए जाने के बावजूद हुई, जिससे यह सवाल उठता है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और विशेषज्ञों की राय।
 

एटीसी सिस्टम की विफलता का प्रभाव

शुक्रवार को एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) का ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (एएमएसएस) के क्रैश होने के कारण दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर फ्लाइट संचालन लगभग ठप हो गया। यह समस्या केवल आईजीआई एयरपोर्ट तक सीमित नहीं रही, बल्कि देश के अन्य एयरपोर्ट्स पर भी इसका असर पड़ा। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस सिस्टम की विफलता की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी थी।

यदि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने समय पर इस चेतावनी पर ध्यान दिया होता, तो सैकड़ों उड़ानें और लाखों यात्रियों को बिना वजह परेशान नहीं होना पड़ता। एटीसी कंट्रोलर्स की मांग पर जब एएआई ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस मुद्दे पर संसद की स्थायी समिति को एक पत्र लिखा था। जुलाई 2025 में भेजे गए इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि एटीसी सिस्टम अब पुराना हो चुका है।


गिल्ड की चेतावनी

पांच महीने पहले गिल्ड ने किया था आगाह

एएआई से जुड़े सूत्रों के अनुसार, गिल्ड द्वारा भेजे गए पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख एयरपोर्ट्स पर उपयोग किए जा रहे ऑटोमेशन सिस्टम में लगातार धीमी प्रदर्शन और लैग की समस्याएं आ रही हैं। ये वही सिस्टम हैं जो देश के एयर ट्रैफिक को नियंत्रित करते हैं। यदि इनमें कोई गड़बड़ी आती है, तो पूरी एविएशन प्रणाली प्रभावित हो सकती है। गिल्ड ने पत्र में कहा था कि अब समय आ गया है कि एयर नेविगेशन सेवाओं के इन ऑटोमेशन सिस्टम्स की समीक्षा और अपग्रेड किया जाए, क्योंकि ट्रैफिक तेजी से बढ़ रहा है और संचालन अधिक जटिल होते जा रहे हैं।


सिस्टम की लापरवाही

प्लेन क्रैश के ठीक बाद किया गया था आगाह

गिल्ड ने यह भी कहा था कि भारत को अपने सिस्टम को वैश्विक मानकों तक लाना होगा। उन्होंने यूरोप के यूरोकंट्रोल और अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के सिस्टम का उदाहरण दिया। इन देशों में मौजूद सिस्टम न केवल उन्नत तकनीक का उपयोग करते हैं, बल्कि AI-आधारित भविष्यवाणी, रियल-टाइम डेटा साझा करने और स्मार्ट संघर्ष पहचान प्रणाली पर भी काम करते हैं। गिल्ड ने यह पत्र AI 171 फ्लाइट क्रैश के बाद लिखा था, ताकि सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की जा सके। लेकिन यह चिंताजनक है कि एएआई के शीर्ष प्रबंधन तक पहुंचने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।


सिस्टम की विफलता का कारण

टेक्निकल ग्लिच या फिर सिस्टम की लापरवाही

जब शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर सिस्टम क्रैश हुआ, जिससे सैकड़ों उड़ानें लेट हो गईं और हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फंस गए, तो वही पुराना सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ: इतनी चेतावनियों के बावजूद सिस्टम अपग्रेड क्यों नहीं हुआ? विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर तकनीकी बुनियादी ढांचे को अपग्रेड किया गया होता, तो शायद शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती। कुल मिलाकर, यह केवल एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का एक स्पष्ट उदाहरण था।