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दिल्ली का कालकाजी मंदिर: ग्रहण के दौरान भी खुला, जानें इसकी खासियत

दिल्ली का कालकाजी मंदिर एक अनोखी परंपरा का प्रतीक है, जहां ग्रहण के समय भी भक्त बिना किसी रुकावट के मां काली के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर सूतक काल की परंपरा को तोड़ता है और भक्तों का मानना है कि यहां की शक्ति नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित नहीं करती। जानें इस मंदिर की विशेषताओं और आस्था के अद्भुत संगम के बारे में।
 

कालकाजी मंदिर: एक अनोखी परंपरा

Kalkaji Mandir: भारत में सूर्य और चंद्र ग्रहण को अक्सर अशुभ माना जाता है, जिसके चलते अधिकांश मंदिर सूतक काल में अपने दरवाजे बंद कर देते हैं। इस समय पूजा और दर्शन पर रोक लगाई जाती है ताकि देवताओं की मूर्तियों पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव न पड़े।


ग्रहण के समय मंदिरों की परंपरा

हिंदू धर्म में, सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल को अशुभ माना जाता है। यह समय ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले शुरू होता है और इसे धार्मिक दृष्टि से अशुद्ध माना जाता है। इस दौरान कई मंदिरों में पूजा, आरती और दर्शन पर रोक लगाई जाती है। कुछ स्थानों पर मूर्तियों को तुलसी पत्र या कुश से ढक दिया जाता है ताकि ग्रहण की नकारात्मकता का असर न पड़े।


कालकाजी मंदिर में दर्शन पर नहीं कोई रोक

दिल्ली का कालकाजी मंदिर इस परंपरा का अपवाद है। नेहरू प्लेस के निकट स्थित यह मंदिर ग्रहण के समय भी सुबह 4 बजे से रात 11:30 बजे तक खुला रहता है। यहां भक्त बिना किसी रुकावट के मां काली के दर्शन और पूजा कर सकते हैं।


सूतक काल से मुक्त क्यों है कालकाजी मंदिर?

मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार, मां काली के इस पवित्र स्थल पर सभी नौ ग्रह और बारह राशियां निवास करती हैं। इन्हें देवी काली की संतान माना जाता है, इसलिए यहां ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भक्तों का मानना है कि मां काली की शक्ति किसी भी नकारात्मक ऊर्जा पर भारी है और उनका दरबार हमेशा खुला रहना चाहिए।


आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम

कालकाजी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर का प्रतीक भी है। यहां की परंपरा यह दर्शाती है कि आस्था, खगोलशास्त्र और धार्मिक मान्यताएं कैसे एक अद्भुत तरीके से एक साथ जुड़ी हुई हैं।