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दिल्ली की राजनीति में नया विवाद: सौरभ भारद्वाज ने रेखा गुप्ता पर उठाए गंभीर सवाल

दिल्ली की राजनीति में एक नया विवाद उभरा है जब आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि रेखा गुप्ता के पति असल में सरकार की कमान संभाल रहे हैं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। भारद्वाज ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने दिल्ली को 'फुलेरा की पंचायत' में बदल दिया है। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सवाल पूछे गए हैं। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और भाजपा की सफाई पर उठाए गए सवाल।
 

सौरभ भारद्वाज की प्रेस कॉन्फ्रेंस

दिल्ली की सियासत में हलचल: आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण शहर में एक महिला मुख्यमंत्री के नाम पर उसके पति द्वारा शासन चलाना न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह पूरी प्रशासनिक प्रणाली का मजाक भी बनाता है।


सरकार की असली कमान किसके हाथ में?

सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि भाजपा ने एक महिला को मुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन असल में सरकार की कमान उनके पति के हाथ में है। उन्होंने कहा कि रेखा गुप्ता के पति सरकारी बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, अधिकारियों को निर्देश देते हैं और यहां तक कि सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों की वीडियो भी साझा करते हैं। यह सब बार-बार और योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है।


दिल्ली को 'फुलेरा की पंचायत' में बदलने का आरोप

उन्होंने कहा कि पहले यह कहा जाता था कि भाजपा ने दिल्ली को 'फुलेरा की पंचायत' बना दिया है, लेकिन अब यह एक गंभीर वास्तविकता बन गई है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे कई स्थानों पर पुरुष उम्मीदवार अपनी पत्नियों को चुनाव में खड़ा करते हैं और खुद ही सारे कार्यभार संभालते हैं। यह स्थिति दिल्ली जैसे राजधानी राज्य में लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।


वीडियो सबूत और भाजपा की सफाई पर सवाल

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सौरभ भारद्वाज ने कुछ वीडियो दिखाए, जिनमें रेखा गुप्ता के पति अधिकारियों के साथ बैठकों में दिख रहे हैं। उन्होंने भाजपा की सफाई को खारिज करते हुए कहा कि यह केवल 'एक बैठक में बैठने की बात' नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है।


भाजपा के पुराने उदाहरणों का हवाला

सौरभ ने भाजपा द्वारा शीला दीक्षित सरकार के समय की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि उस समय अनौपचारिक सहायता को सरकार की ओर से आधिकारिक नहीं माना जाता था। लेकिन अब रेखा गुप्ता अपने पति की सरकारी गतिविधियों की वीडियो साझा कर रही हैं, जो दर्शाता है कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है।


प्रधानमंत्री से सवाल

इस मामले में सौरभ भारद्वाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि जो प्रधानमंत्री नैतिकता की बातें करते हैं, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या एक मुख्यमंत्री का पति बिना किसी कानूनी अधिकार के सरकारी अधिकारियों को निर्देश दे सकता है। क्या यही 'न्यू इंडिया' की परिकल्पना है?


भाजपा से तीन महत्वपूर्ण सवाल

सौरभ ने भाजपा से तीन सवाल पूछे:

  1. क्या मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता अपने कार्यों को करने में सक्षम नहीं हैं?
  2. क्या भाजपा के पास कोई योग्य व्यक्ति नहीं है जो मुख्यमंत्री की मदद कर सके?
  3. क्या भाजपा कोई ऐसा कानून बता सकती है जो मुख्यमंत्री के पति को आधिकारिक बैठकों में भाग लेने का अधिकार देता हो?


राजनीति में पारदर्शिता का सवाल

सौरभ भारद्वाज का यह आरोप केवल एक राजनीतिक हमला नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी प्रणाली पर उठता सवाल है। क्या निर्वाचित पदों पर बैठे लोग अपने परिवारजनों को अधिकारिक कामों में शामिल कर सकते हैं? यदि ऐसा होता है, तो इसका असर शासन व्यवस्था पर पड़ेगा और लोकतंत्र की नींव कमजोर होगी। यह मामला अब केवल एक दल बनाम दूसरे दल का नहीं रह गया है, बल्कि यह गवर्नेंस और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुचिता का सवाल बन गया है।