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दिल्ली चुनाव में वोट घोटाले का आरोप: संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर साधा निशाना

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कथित वोट घोटाले को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संजय सिंह ने संसद में चर्चा न कराने को लेकर भाजपा पर निशाना साधा, जबकि सौरभ भारद्वाज ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए। दोनों नेताओं ने इस मामले में गहरी साजिश का संकेत दिया है। जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और क्या हो सकता है आगे।
 

दिल्ली चुनाव में घोटाले का आरोप

दिल्ली चुनाव में वोट घोटाले का मामला: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने संसद में बिहार में चार एसआईआर पर चर्चा न कराने को लेकर भाजपा पर कड़ा हमला किया है। उनका कहना है कि मोदी सरकार का इस मुद्दे पर चर्चा से बचना यह दर्शाता है कि भाजपा इस चुनावी घोटाले में शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों के घरों से 30-35 वोट मिले और भाजपा नेताओं ने 14 विधानसभाओं में हजारों वोट कटवाने के लिए आवेदन दिया। आम आदमी पार्टी ने इस मामले के सबूत पेश किए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।


लोकतंत्र के खिलाफ है एसआईआर पर चर्चा से बचना

संजय सिंह ने कहा कि एसआईआर (विशेष गहन संशोधन) का मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस पर चर्चा किए बिना संसद का कार्य आगे बढ़ाना, मोदी सरकार की लोकतंत्र के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। उनके अनुसार, यह भाजपा की इस पूरे मामले में भागीदारी का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली चुनाव भाजपा ने वोट घोटाले के माध्यम से जीते, जिसमें भाजपा महज 2% वोट से आगे थी, जबकि 7-8% का चुनावी घोटाला किया गया। कांग्रेस भी इस पर चुप रही, जबकि यही स्थिति महाराष्ट्र, हरियाणा और अन्य राज्यों में भी देखी गई।


सौरभ भारद्वाज का चुनाव आयोग पर आरोप

दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह वोट चोरी के मुद्दे पर भाग रहा है और भाजपा के नेता उसकी रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल मतदाता सूची की डिजिटल कॉपी मांग रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग इसे देने में आनाकानी कर रहा है, क्योंकि इससे एक हफ्ते में पूरा फर्जीवाड़ा उजागर हो जाएगा।


डिजिटल कॉपी न देने के पीछे की साजिश

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को जानबूझकर इतना जटिल बना दिया है कि महीनों की रिसर्च के बाद ही गड़बड़ी साबित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार बदलती है, तो चुनाव आयुक्तों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए, क्योंकि वे इस अपराध में सीधे तौर पर शामिल हैं।